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Kalashtami 2024 Date: नवंबर महीने में कब है कालाष्टमी? नोट करें सही डेट एवं शुभ मुहूर्त

धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा करने से जीवन में सुखों का आगमन होता होता है। तांत्रिक तंत्र विद्या में सिद्धि पाने के लिए निशा काल में काल भैरव देव की उपासना करते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव देव (Kalashtami 2024 Importance) साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। सामान्य जन मनचाहा वर पाने के लिए काल भैरव देव की उपासना करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 03 Nov 2024 09:12 PM (IST)
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Kalashtami 2024: काल भैरव देव को कैसे प्रसन्न करें?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को विशेष कार्य में सफलता और सिद्धि मिलती है। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन उपासना करते हैं। धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा-उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी प्रकार के दुख और संकट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं। अतः साधक भक्ति भाव से काल भैरव देव की पूजा-भक्ति करते हैं। आइए, मार्गशीर्ष माह की कालाष्टमी (Kalashtami 2024 Date) की तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-  

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कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 23 नवंबर को संध्याकाल 07 बजकर 56 मिनट पर होगा। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। अतः 22 नवंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी।

कालाष्टमी शुभ योग (Kalashtami Shubh Yog)

भाद्रपद माह की कालाष्टमी पर ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग सुबह 11 बजकर 34 मिनट तक है। इसके बाद इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। इस दिन कई अन्य मंगलकारी योग भी बन रहे हैं।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 50 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 25 मिनट पर

चंद्रोदय- रात 11 बजकर 41 मिनट पर

चंद्रास्त- दिन 12 बजकर 35 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 02 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 35 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।