Kalki Jayanti 2024: सावन में मनाई जाएगी कल्कि जयंती, इस तरह प्राप्त होगी विष्णु जी की कृपा
हर साल सावन की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर कल्कि जयंती मनाई जाती है। यह तिथि भगवान विष्णु के अंतिम अवतार यानी भगवान कल्कि को समर्पित मानी जाती है और उनकी पूजा की जाती है। ऐसे में आप इस विशेष दिन पर कल्कि स्तोत्रम् का पाठ करके भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। आइए पढ़ते हैं कल्कि स्तोत्र।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कल्कि जयंती के दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान कल्कि की पूजा की जाती है। कल्कि पुराण में इस अवतार का विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है। जिसमें यह भी वर्णन मिलता है कि जब कलयुग में अत्याचार बहुत ही बढ़ जाएगा तब भगवान विष्णु के अंतिम अवतार यानी भगवान कल्कि अवतरित होंगे।
कल्कि जयंती शुभ मुहूर्त (Kalki Jayanti Shubh Muhurat)
सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 10 अगस्त को प्रातः 03 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है। साथ ही इस तिथि का समापन 11 अगस्त को प्रातः 05 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, कल्कि जयंती शनिवार, 10 अगस्त को मनाई जाएगी। इस तिथि पर शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहने वाला है -
कल्कि जयन्ती मुहूर्त - दोपहर 04 बजकर 25 मिनट से शाम 07 बजकर 05 मिनट तक
कल्कि स्तोत्रम् | Kalki Stotram Lyrics
श्रीगणेशाय नमः ।सुशान्तोवाच ।
जय हरेऽमराधीशसेवितं तव पदांबुजं भूरिभूषणम् ।कुरु ममाग्रतः साधुसत्कृतं त्यज महामते मोहमात्मनः ॥ १॥तव वपुर्जगद्रूपसम्पदा विरचितं सतां मानसे स्थितम् ।रतिपतेर्मनो मोहदायकं कुरु विचेष्टितं कामलंपटम् ॥ २॥
तव यशोजगच्छोकनाशकं मृदुकथामृतं प्रीतिदायकम् ।स्मितसुधोक्षितं चन्द्रवन्मुखं तव करोत्यलं लोकमङ्गलम् ॥ ३॥मम पतिस्त्वयं सर्वदुर्जयो यदि तवाप्रियं कर्मणाऽऽचरेत् ।जहि तदात्मनः शत्रुमुद्यतं कुरु कृपां न चेदीदृगीश्वरः ॥ ४॥महदहंयुतं पञ्चमात्रया प्रकृतिजायया निर्मितं वपुः ।तव निरीक्षणाल्लीलया जगत्स्थितिलयोदयं ब्रह्मकल्पितम् ॥ ५॥
भूवियन्मरुद्वारितेजसां राशिभिः शरीरेन्द्रियाश्रितैः ।त्रिगुणया स्वया मायया विभो कुरु कृपां भवत्सेवनार्थिनाम् ॥ ६॥तव गुणालयं नाम पावनं कलिमलापहं कीर्तयन्ति ये ।भवभयक्षयं तापतापिता मुहुरहो जनाः संसरन्ति नो ॥ ७॥तव जनुः सतां मानवर्धनं जिनकुलक्षयं देवपालकम् ।यह भी पढ़ें - Kalki Jayanti 2024: सावन महीने में कब है कल्कि जयंती ? नोट करें सही डेट एवं शुभ मुहूर्त
कृतयुगार्पकं धर्मपूरकं कलिकुलान्तकं शं तनोतु मे ॥ ८॥मम गृहं पतिपुत्रनप्तृकं गजरथैर्ध्वजैश्चामरैर्धनैः ।मणिवरासनं सत्कृतिं विना तव पदाब्जयोः शोभयन्ति किम् ॥ ९॥तव जगद्वपुः सुन्दरस्मितं मुखमनिन्दितं सुन्दरत्विषम् ।यदि न मे प्रियं वल्गुचेष्टितं परिकरोत्यहो मृत्युरस्त्विह ॥ १०॥हयवर भयहर करहरशरणखरतरवरशर दशबलदमन ।जय हतपरभरभववरनाशन शशधर शतसमरसभरमदन ॥ ११॥
इति श्रीकल्किपुराणे सुशान्ताकृतं कल्किस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।