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Kalawa: कलावा को माना जाता है रक्षा सूत्र, जानें कैसे हुई इसे बांधने की शुरुआत

पूजा या फिर मांगलिक कार्य के दौरान कलावा (Kalawa Importance) बांधने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। कलावे को रक्षा सूत्र के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कलावा बांधने से साधक को ब्रह्मा विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गुलाबी लाल और पीले कलावे को हाथ में बांधा जाता है। आइए जानते हैं कलावा बांधने की परंपरा कब से शुरू हुई।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 05 May 2024 03:51 PM (IST)
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Kalawa: कलावा को माना जाता है रक्षा सूत्र, जानें कैसे हुई इसे बांधने की शुरुआत
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kalawa History: सनातन धर्म में कलावे का अधिक महत्व है।  पूजा या फिर मांगलिक कार्य के दौरान हाथ में कलावा बांधने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। कलावे को रक्षा सूत्र के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कलावा (Kalawa Benefits) बांधने से साधक को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गुलाबी, लाल और पीले कलावे को हाथ में बांधा जाता है। इससे मंगल दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाथ में कलावा बांधने की शुरुआत कब से हुई। अगर नहीं पता तो आइए हम आपको बताएंगे कि कलावा बांधने की परंपरा कब से शुरू हुई।

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ऐसे हुई शुरुआत

धार्मिक मान्यता के अनुसार, हाथ में कलावा बांधने का रिवाज बेहद पुराना है। इसकी शुरुआत धन की देवी मां लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी। मां लक्ष्मी ने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था। इसके बाद से ही कलावा बांधने की परंपरा जारी है।  

उतरे हुए कलावे का क्या करें?

हाथ में बांधा हुआ कलावा को इधर-उधर न फेकें। ज्योतिष शास्त्र की मानें हाथ में से कलावा मंगलवार और शनिवार के दिन खोलना चाहिए। कलावे को पूजा के दौरान ही खोलें। इसके बाद इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें या फिर पीपल के पेड़ के नीचे रख दें।

कलावा बांधने के नियम

शास्त्रों में कलावा बांधने के नियम के बारे में बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, हाथ पर कलावा पर सिर्फ तीन बार लपेटा जाता है। इससे इंसान को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अविवाहित कन्याओं और पुरुषों को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। वहीं शादीशुदा औरतों को कलावा बाएं हाथ में बांधना चाहिए।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'