Kalyug Story: इस ऋषि ने राजा परीक्षित को दिया श्राप, जिस कारण हुआ कलयुग का आरंभ
Kalyug Story 4 युग माने गए हैं जो इस प्रकार हैं - सत्ययुग त्रेतायुग द्वापरयुग और कलियुग। जिसमें से कलयुग चल रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कलयुग एक ऋषि के श्राप के कारण फलीभूत हुआ है। आइए जानते हैं कि वह कौन से ऋषि हैं जिनके श्राप के कारण कलयुग आया और उन्होंने यह श्राप क्यों दिया।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Wed, 13 Dec 2023 12:11 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rishi Curse: हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों का विशेष महत्व रहा है। ऋषि-मुनियों द्वारा ही राजाओं से लेकर आम जनता तक को शिक्षित करने का काम किया जाता था। ऋषियों के श्राप को बहुत ही प्रभावशाली माना जाता था। आज हम आपको श्रृंगी ऋषि द्वारा दिए गए ऐसे श्राप के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके कारण कलयुग फलीभूत हुआ। यह श्राप श्रृंगी ऋषि द्वारा राजा परीक्षित को दिया गया था। आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण।
राजा परीक्षित की कथा
महाभारत के आदि पर्व में 40 और 41 वें में अध्याय में एक पौराणिक कथा मिलती है। जिसके अनुसार द्वापर युग में परीक्षित नाम के एक राजा थे, जो बहुत ही न्याय प्रिय और अपनी प्रजा के प्रति निष्ठावान थे। राजा परीक्षित धनुर्धर अर्जुन के पौत्र और वीर अभिमन्यु के पुत्र थे। वह एक बार जंगल में शिकार करने गए, जहां उन्होंने शमीक ऋषि मौन अवस्था में ध्यान कर रहे थे।
कलयुग के प्रभाव में किया ये काम
राजा परीक्षित, शमीक ऋषि से पीने के लिए पानी मांगते हैं, लेकिन ऋषि ध्यान में थे इसलिए वह राजा की बात का कोई उत्तर नहीं देते। राजा परीक्षित के सिर पर स्वर्ण मुकुट पर विराजमान कलियुग के प्रभाव से राजा ने इस अपना अपमान समझा। गुस्से के कारण राजा परीक्षित उनके गले में मरा हुआ सांप डाल देते हैं। जब इस बात का पता शमीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि को लगता है तो वह क्रोध में आकर राजा परीक्षित को श्राप दे देते हैं।यह दिया श्राप
अपने पिता के अपमान पर ऋषि श्रृंगी राजा परीक्षित को यह श्राप देते हैं कि 7 दिन में नाग राज तक्षक उन्हें डस लेगा और उनकी मृत्यु हो जाएगी। श्राप के कारण राजा को 7 दिन के बाद नाराराज तक्षक ने डस लिया और उनकी मृत्यु हो गई। राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद से ही कलयुग की शुरुआत मानी जाती है।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'