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Kamika Ekadashi 2024: कामिका एकादशी पर दुर्लभ ध्रुव समेत बन रहे हैं ये 7 अद्भुत संयोग, बनेंगे सारे बिगड़े काम

कामिका एकादशी व्रत (Kamika Ekadashi 2024) की महिमा विष्णु पुराण में वर्णित है। वैष्णव समाज के लोग एकादशी पर्व धूमधाम से मनाते हैं। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा जाने-अनजाने में किए समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 23 Jul 2024 07:19 PM (IST)
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Kamika Ekadashi Lord Vishnu Puja: सावन माह में कब मनाई जाएगी कामिका एकादशी ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kamika Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्ण को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान विष्णु के निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही मृत्यु उपरांत बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। इस वर्ष कामिका एकादशी 31 जुलाई को है। यह पर्व हर वर्ष सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो कामिका एकादशी तिथि पर दुर्लभ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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शुभ मुहूर्त ( Kamika Ekadashi Shubh Muhurat)

सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 30 जुलाई को संध्याकाल 04 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 31 जुलाई को संध्याकाल 03 बजकर 55 मिनट पर होगा। अत: 31 जुलाई को कामिका एकादशी मनाई जाएगी। जबकि, 1 अगस्त को सुबह 05 बजकर 43 मिनट से लेकर 08 बजकर 24 मिनट के मध्य साधक पारण कर सकते हैं।

ध्रुव योग

ज्योतिषियों की मानें तो कामिका एकादशी पर दुर्लभ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। कामिका एकादशी तिथि पर ध्रुव योग दोपहर 02 बजकर 14 मिनट तक है। इस योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी दिन भर है।

शिववास योग

देवों के देव महादेव कामिका एकादशी पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे। भगवान शिव दोपहर 03 बजकर 55 मिनट तक कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार होंगे। इस दौरान भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। इस तिथि पर बालव और कौलव करण के योग भी बन रहे हैं। साथ ही रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 09 मिनट पर

चन्द्रोदय- देर रात 02 बजकर 38 मिनट पर

चंद्रास्त- दोपहर 03 बजकर 59 मिनट पर (25 जुलाई)

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 14 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 38 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 09 मिनट से 07 बजकर 31 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।