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Kanwar Yatra 2024: जल्द शुरू हो रहा है सावन, जानें कब चढ़ेगा कांवड़ यात्रा का जल?

सावन के महीने में चारों तरफ उत्सव जैसा माहौल देखने को मिलता है। इस माह कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है जिसका समापन सावन शिवरात्रि पर होता है। इस दौरान कांवड़ियां हरिद्वार से गंगाजल लाकर सावन शिवरात्रि पर अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में विराजमान में शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। चलिए इस लेख में हम आपको बताएंगे कांवड़ यात्रा का कब चढ़ेगा?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Thu, 04 Jul 2024 01:21 PM (IST)
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Kanwar Yatra 2024: भगवान शिव को समर्पित है सावन का महीना।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kanwar Yatra 2024 Jal Abhishek Date: शास्त्रों के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए बेहद शुभ है। ऐसा माना जाता है कि इस माह में महादेव की पूजा करने से प्रभु जल्द प्रसन्न होते हैं और भगवान शिव जातक की सभी मुरादें पूरी करते हैं। सावन में कांवड़ यात्रा की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। इस दौरान शिव भक्तों में बेहद खास उत्साह देखने को मिलता है।

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कब से शुरू हो रहा सावन (Sawan 2024 Start Date And End Date)

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा 21 जुलाई को पड़ रही है। इसके अगले दिन यानी 22 जुलाई से सावन का महीना शुरू होगा। साथ ही इसका समापन 19 अगस्त 2024 को होगा। इस माह में पांच सोमवार पड़ रहे हैं।

सावन शिवरात्रि 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Sawan Shivratri 2024 Date and Shubh Muhurat)

सावन शिवरात्रि पर ही कांवड़ यात्रा का जल चढ़ता है। पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी। वहीं, अगले दिन यानी 03 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में सावन शिवरात्रि व्रत अगस्त 2, 2024, शुक्रवार को किया जाएगा।

भगवान शिव को सोमवार का दिन समर्पित है। इसलिए सावन सोमवार को महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि इस दिन महादेव की पूजा और व्रत करने से जातक को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन सदैव खुशहाल रहता है।

सावन में कब है सोमवार व्रत

सोमवार 22 जुलाई- प्रथम सोमवार

सोमवार 29 जुलाई- द्वितीय सोमवार

सोमवार 05 अगस्त- तृतीय सोमवार

सोमवार 12 अगस्त- चतुर्थ सोमवार

सोमवार 19 अगस्त- पंचम सोमवार

शिव अभिषेक मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्||

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।