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Kanwar Yatra 2024: आखिर कौन था सबसे पहला कांवड़िया? यहां पढ़ें इससे जुड़ी कथा

सावन के महीने में कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यता है कि सावन में सच्चे मन से कांवड़ लाने से महादेव प्रसन्न होकर साधक की सभी मुरादें पूरी करते हैं। साथ ही जीवन के संकट दूर होते हैं। क्या आपको पता है कि सबसे पहले कांवड़ कौन लाया था? अगर नहीं पता तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी रोचक कथा के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 13 Jul 2024 03:03 PM (IST)
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Kanwar Yatra 2024: आखिर कौन था सबसे पहला कांवड़िया? यहां पढ़ें इससे जुड़ी कथा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kanwar Yatra 2024 Start And End Date: पंचांग के अनुसार, वर्ष 2024 में सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है। इस महीने के प्रारंभ के लिए शिव भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। सावन में देशभर के भक्त पवित्र स्थान से गंगाजल लाकर सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव का विधिपूर्वक जलाभिषेक करते हैं। यात्रा के दौरान भक्तों में बेहद खास उत्साह देखने को मिलता है और बम भोले के नाम का जप कर यात्रा को पूरी करते हैं।

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कांवड़ यात्रा की पहली कथा

धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऋषि जमदग्नि के पुत्र भगवान परशुराम ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। ऐसा कहा जाता है कि भगवान परशुराम गढ़मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल लेकर आए थे और उत्तर प्रदेश के पुरा महादेव पर जल अर्पित किया था। आज के समय में भी इस प्राचीन परंपरा को निभाया जाता है। सावन के महीने में गढ़मुक्तेश्वर में अधिक संख्या में शिव भक्त पुरा महादेव का जलाभिषेक करते हैं।  

कांवड़ यात्रा की दूसरी कथा

वहीं, कुछ अन्य धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कांवड़ यात्रा की शुरुआत सबसे पहले त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने की थी। उनके माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा जाहिर की। श्रवण कुमार ने इस इच्छा की पूर्ति के लिए माता-पिता को कांवड़ में बैठा कर हरिद्वार लेकर गए और उन्हें गंगा स्नान कराया। वहां से वह अपने साथ गंगाजल भी लाए थे। इसे ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत माना जाता है।

इस दिन से शुरू होगी कांवड़ यात्रा 2024

पंचांग के अनुसार, इस बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से होगी। वहीं, इसका समापन 02 अगस्त 2024 यानी सावन शिवरात्रि के दिन होगा।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।