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Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा की ये है बेहद सरल पूजा विधि, अभी नोट करें शुभ मुहूर्त

हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और उपासना करने से जातक के सभी संकट दूर होते हैं। इस बार कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 06 Nov 2024 07:18 PM (IST)
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Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा की ये है बेहद सरल पूजा विधि
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने में पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ चंद्र देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से जातक का जीवन खुशहाल होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2024) का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

कार्तिक पूर्णिमा 2024 डेट और टाइम (Kartik Purnima 2024 Date and Time)

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 16 नवंबर को देर रात्रि को 02 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर (Sharad Purnima 2024 Date) को मनाया जाएगा।

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 58 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 54 मिनट तक

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कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi)

  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें।
  • घर की साफ-सफाई करें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
  • व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु जी को गंध, पुष्प, फल, फूल और वस्त्र अर्पित करें।
  • देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और विष्णु जी के मंत्रों का जप करें।
  • फल और मिठाई समेत चीजों का भोग लगाएं।
  • व्रत कथा का पाठ करें।
  • गरीब लोगों में दान करना शुभ माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की आरती न करने से जातक को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए नीचे दी इस गई आरती को जरूर करें।

श्री विष्णु आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे...

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

आरती करते समय किसी के बारे में गलत न सोचें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा नहीं होती है। आरती के बाद विष्णु जी को भोग जरूर लगाएं। माना जाता है कि भोग अर्पित करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे...

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वामी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे...

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।