Karwa Chauth 2023: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर, कब मनाया जाएगा करवा चौथ? नोट करें व्रत एवं पूजा का सही समय
Karwa Chauth 2023 वर्तमान समय में अविवाहित लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही सुख और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। वहीं अविवहित लड़कियों की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इस वर्ष 31 अक्टूबर को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 25 Oct 2023 02:06 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Karwa Chauth 2023: सनातन धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व है। इस महीने में करवा चौथ, छठ, दिवाली, भाई दूज, देवउठनी एकादशी, तुलसी विवाह समेत कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें करवा चौथ कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सुहाग के लिए व्रत रखती हैं। वर्तमान समय में अविवाहित लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान प्राप्त होता है। वहीं, अविवहित लड़कियों की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इस वर्ष 31 अक्टूबर को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। इसके लिए व्रती (महिलाएं) करवा चौथ की डेट को लेकर असमंसज में हैं। आइए, करवा चौथ की सही डेट, व्रत एवं पूजा समय जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात में 09 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी , जो अगले दिन यानी 1 नवंबर को 09 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्योदय के पश्चात ही तिथि की गणना होती है। अतः उदया तिथि में व्रत रखने की सलाह दी जाती है। इस प्रकार 1 नवंबर को व्रत रखना फलदायी होगा। व्रती 1 नवंबर को करवा चौथ का व्रत रखी सकती हैं।
व्रत समय
धर्म शास्त्रों में करवा चौथ के दिन निर्जला उपवास रखने का विधान है। अतः व्रती दिन भर निर्जला उपवास करती हैं। इस वर्ष करवा चौथ का व्रत समय प्रातः काल 06 बजकर 33 मिनट से लेकर संध्याकाल 08 बजकर 15 मिनट तक है। इस समय में व्रती निर्जला उपवास रखें।यह भी पढ़ें- कब है देवउठनी एकादशी? जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व
पूजा समय
करवा चौथ के दिन महिलाएं दिन भर उपवास रखती हैं और संध्याकाल में पूजा करती हैं। इस वर्ष पूजा का सही समय संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर 06 बजकर 54 मिनट तक है। इस समय में व्रती करवा माता की पूजा-अर्चना कर सकती हैं। इस दिन चंद्र दर्शन का समय संध्याकाल 08 बजकर 15 मिनट से है। व्रती संध्याकाल में 08 बजकर 15 मिनट पर चंद्र दर्शन कर व्रत खोल सकती हैं।डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।