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Karwa Chauth Solah Shringar : जानिए करवा चौथ पर सोलह शृंगार करने का क्या है महत्व?

Karwa Chauth 2023 जब करवा चौथ नजदीक है तो महिलाएं सिर से पैर तक सुंदर बनने के लिए तैयार हैं। सोलह शृंगार (Karva Chauth Solah Shringar) प्राचीन संस्कृति से चली आ रही एक पारंपरिक प्रथा है। तो आइए इसके बारे में जानते हैं-

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 28 Oct 2023 01:11 PM (IST)
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Karwa Chauth 2023

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Karwa Chauth 2023: हिंदू धर्म में सोलह शृंगार का बेहद महत्व है। जब कोई बड़ा त्योहार आता है, सुहागिन महिलाएं अपना सोलह श्रंगार करती हैं। ऐसे में जब करवा चौथ नजदीक है, तो महिलाएं सिर से पैर तक सुंदर बनने के लिए तैयार हैं। सोलह शृंगार (Karva Chauth Solah Shringar) प्राचीन संस्कृति से चली आ रही एक पारंपरिक प्रथा है।

आखिर क्या है सोलह शृंगार?

  • गजरा- फूलों की एक माला, जो आमतौर पर चमेली से बनी होती है, जिसे बालों के जूड़े और चोटी में पहना जाता है।
  • मांग-टीका- यह सोने से बना होता है, जिसे महिलाएं बालों के बीच माथे पर लगाती हैं।
  • सिन्दूर- किसी भी सुहागन के लिए सिन्दूर शृंगार में सबसे अहम होता है। ऐसी मान्यता है कि सिन्दूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है।
  • बिंदी- माथे पर एक लाल बिंदी, जो वैवाहिक रिश्ते के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
  • काजल - महिलाओं की आंखों को निखारने के लिए काजल को महत्वपूर्ण माना गया है। साथ ही यह बुरी नजर से भी बचाता है।
  • नथ - नथ को सुहाग की निशानी माना गया है। ऐसे में किसी भी खास पर्व में नथ पहनना आवश्यक होता है।
  • कान की बाली- इसे कान पर धारण किया जाता है। ज्यादातर लोग इस अपने शृंगार को पूरा करने के लिए पहनते हैं।
  • मंगल सूत्र- सोलह शृंगार में मंगलसूत्र सबसे अहम होता है। यह वैवाहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं।
  • बाजूबंद- बाजूबंद को ऊपरी बांह पर पहना जाता है और अक्सर ये मोती या हीरे से जड़ा होता है।
  • चूड़ियां- चूड़ियों को विवाह का एक स्पष्ट संकेत माना गया है। साथ ही इसे पहनने से महिलाओं के हाथों की शोभा बढ़ती है।
  • मेहंदी- इसे हाथों और पैरों की खूबसूरती निखारने के लिए लगाया जाता है।
  • अंगूठियां- महिलाएं इसे अपनी उंगलियों पर धारण करती हैं।
  • आलता- सोलह शृंगार में आलता को भी शामिल किया गया है, इसे भी सुहाग का प्रतीक माना गया है।
  • कमरबंद- कमर के चारों ओर पहना जाने वाला एक सजावटी बेल्ट, जिसे अक्सर सुहागिन महिलाएं पहनती हैं।
  • पायल- इसे दोनों पैरों में पहना जाता है। महिलाओं के शृंगार में यह भी मुख्य माना गया है।
  • बिछुआ- इसे पैरों की बाएं पैर की उंगलियों में पहना जाता है। यह भी सुहाग का प्रतीक है।

सोलह शृंगार का महत्व

हिंदू पौराणिक कथाओं अनुसार, सोलह शृंगार चंद्रमा के सोलह चरणों के अनुरूप हैं, जो एक स्त्री के मासिक धर्म चक्र से जुड़े हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि सोलह शृंगार इस चक्र के किसी भी नकारात्मक प्रभाव का प्रतिकार करता है। 'शृंगार' शब्द 'श्री' से लिया गया है, जिसका सीधा अर्थ है 'लक्ष्मी'।

ऐसे में इसे धन, सौंदर्य, भाग्य और समृद्धि से जोड़ा गया है। सोलह शृंगार शादियों के अलावा प्रमुख त्योहारों में किया जाता है। इस शृंगार से पति की आयु लंबी होती है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।