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Karwa Chauth 2023 Moonrise Time: करवा चौथ पर कब निकलेगा चांद? जानें चंद्रोदय का सही समय

Karwa Chauth Moonrise Time करवा चौथ के दिन शुभ दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद शाम को चंद्रमा के दर्शन और उसकी पूजा के पश्चात व्रत खोला जाता है। इस दिन क्योंकि चांद को देखकर ही व्रेत खोलने की परंपरा है इसलिए चंद्रोदय का समय जानना जरूरी है।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Wed, 01 Nov 2023 09:24 AM (IST)
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करवा चौथ के दिन किस वक्त निकलेगा चांद?

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Karwa Chauth Moonrise Time: हिंदू धर्म में करवा चौथ का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। इसे कराका चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 1 नवंबर को पड़ रहा है। इस शुभ दिन, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्र दर्शन के पश्चात व्रत खोलती हैं। व्रत का पारण महिलाएं अपने पति के हाथों जल ग्रहण कर करती हैं। चंद्रमा को देखना करवा चौथ व्रत का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस वजह से हम शहरों के अनुसार चंद्रोदय के समय को आपके साथ साझा करेंगे, जो इस प्रकार है-

शहर अनुसार चंद्रोदय का समय

karwa chauth moon timing

नई दिल्ली रात 8:15 बजे
लखनऊ रात 8:05 बजे
भोपाल रात 8:29 बजे
अलीगढ़ रात 8:13 बजे
शिमला रात 8:07 बजे
जयपुर रात 8:26 बजे
पटना रात 7:51 बजे
चंडीगढ़ रात 8:10 बजे
नोएडा रात 8:14 बजे
गुरुग्राम रात 8:16 बजे
मुंबई रात 8:59 बजे
चेन्नई रात 8:43 बजे
आगरा रात 8:16 बजे
कोलकाता रात 7:46 बजे
पुणे रात 8:56 बजे
हैदराबाद रात 8:40 बजे
भुवनेश्वर रात 8:02 बजे
कानपुर रात 8:08 बजे

करवा चौथ पूजा शुभ मुहूर्त


व्रत समय - सुबह 06:33 मिनट से शाम 08:15 मिनट तक

पूजा समय- शाम 05:36 मिनट से 06:54 मिनट तक

शिव योग- दिन में 02 बजकर 17 मिनट से

सर्वार्थ सिद्धि योग- दिन भर

चन्द्रोदय- 08 बजकर 15 मिनट पर

करवा चौथ पूजा विधि

करवा चौथ की पूजा शाम को चंद्रोदय के बाद की जाती है। सबसे पहले इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें और शिव परिवार के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें। शाम की पूजा के लिए घर की दीवार पर गेरू से एक पट्टिका बनाएं और उस पट्टिका पर करवा का चित्र बनाएं।

इसके बाद शाम के समय पट्टिका के स्थान पर एक चौकी रखें और उस पर माता पार्वती और भगवान शिव की तस्वीर लगाएं। तस्वीर के सामने बैठकर विधिवत शिव परिवार की पूजा करें। आरती के साथ पूजा का समापन करें। अंत में चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति के हाथों जल पीकर व्रत का पारण करें।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'