Karwa Chauth 2023: कुंवारी लड़कियां करवा चौथ के दिन जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, जल्द बजेगी शहनाई
Karwa Chauth 2023 कुंडली में गुरु मजबूत रहने से अविवाहित लड़की की शीघ्र शादी हो जाती है। वहीं कमजोर होने पर शादी में बाधा आती है। अतः ज्योतिष कुंडली में गुरु मजबूत करने की सलाह देते हैं। कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा करने की सलाह दी जाती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Karwa Chauth 2023: आज करवा चौथ है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह में मनाया जाता है। विवाहित और अविवाहित महिलाएं करवा चौथ पर निर्जला व्रत रख विधि विधान से देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। इस व्रत के पुण्य से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी हो जाती है। लड़कियों के विवाह के कारक देवगुरु बृहस्पति होते हैं। कुंडली में गुरु मजबूत रहने से अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी हो जाती है। वहीं, कमजोर होने पर शादी में बाधा आती है। अतः ज्योतिष कुंडली में गुरु मजबूत करने की सलाह देते हैं। कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा की जाती है। अगर आपकी शादी में भी बाधा आ रही है, तो आज करवा चौथ पर पूजा के समय गुरु कवच का पाठ करें। इस कवच के पाठ से शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं।
गुरु ग्रह कवच
ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः ।
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ॥
नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ॥
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ॥
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु ।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ॥
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ॥
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ॥
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शीघ्र विवाह के मंत्र
1. ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा
2. ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥
3. ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ
चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
4. ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि ।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे ॥
5. गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया ।|
तथा माँ कुरु कल्याणि कान्त कांता सुदुर्लभाम्।।
4. ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे ।।
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