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Karwa Chauth 2024: इन सोलह श्रृंगार के बिना अधूरा है करवा चौथ का व्रत, अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति

इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर (Karwa Chauth 2024 Date) को किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार न करने से व्रत अधूरा माना जाता है। इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना जरूर करना चाहिए। आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे कि सोलह श्रृंगार (Solah Shringar Ka Saman) में किन चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 13 Oct 2024 11:03 AM (IST)
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Karwa Chauth 2024: क्या है सोलह श्रृंगार?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व देशभर में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए विशेष श्रृंगार कर निर्जला व्रत करती हैं। इससे पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, अविवाहित लड़कियां भी शीघ्र शादी के लिए व्रत रखती हैं। इससे उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाओं के लिए सोलह शृंगार (Solah Shringar List) का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इस शृंगार (Solah Shringar Significance) के महत्व के बारे में।

इसलिए किया जाता है सोलह श्रृंगार

करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पूजा-अर्चना से पहले सोलह श्रृंगार करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि श्रृंगार करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भाग्य भी खुलता है। इसके अलावा पति की लंबी आयु होती है। इन्हीं सभी वजहों से सोलह श्रृंगार किया जाता है।

 सोलह शृंगार का धार्मिक महत्व

  • सिंदूर- सोलह शृंगार में सबसे महत्वपूर्ण सिंदूर को माना जाता है। मान्यता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है।
  • मांगटीका- यह सोना या फिर किसी अन्य का धातु बना होता है। इसे महिलाएं बालों के बीच माथे पर लगाती हैं।
  • बिंदी- सनातन धर्म में लाल बिंदी को वैवाहिक रिश्ते के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इसे माथे पर लगाया जाता है।
  • गजरा- यह फूलों से बना होता है। इसे बालों के जूड़े और चोटी में पहना जाता है।
  • काजल- आंखों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए महिलाएं काजल लगाती हैं। इससे बुरी नजर से बचाव होता है।
  • नथ - नथ को सुहाग की निशानी माना जाता है। इसे किसी शुभ अवसर पर पहना जाता है।

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  • कुंडल- यह सोने और चांदी या फिर अन्य किसी धातु के बने होते हैं। इससे महिलाओं की सुंदरता बढ़ती है।
  • मंगल सूत्र- शृंगार में मंगलसूत्र को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे सुहाग की निशानी माना जाता है।
  • बाजूबंद- बाजूबंद को ऊपरी बांह पर पहना जाता है। यह मोती या हीरे से बना होता है।
  • बिछुआ- इसे पैरों की उंगलियों में पहना जाता है। यह भी सुहाग का प्रतीक है।
  • चूड़ियां- सुहागिन महिलाओं के द्वारा चूड़ियों को पहनने से हाथों की शोभा बढ़ती है।
  • मेहंदी- इसे हाथों और पैरों की खूबसूरती निखारने के लिए लगाया जाता है।
  • अंगूठी- शादी के दौरान वर-वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं।
  • आलता- यह लाल रंग का तरल पदार्थ होता है, जिसे सुहागिन महिलाएं पैरों और हाथों पर लगाती हैं। इससे हाथ और पैरों की चमक बढ़ती है।
  • कमरबंद- कमर के चारों तरफ पहना जाने वाला एक सजावटी बेल्ट को कमरबंद कहा जाता है। यह सोना, चांदी या फिर अन्य धातु का बना होता है। 
  • पायल- इसे दोनों पैरों में पहना जाता है। इसे महिलाओं का प्रमुख शृंगार माना जाता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है