Karwa Chauth 2024: सर्वप्रथम किसने किया था करवा चौथ का व्रत? यहां पढ़ें इस पर्व से जुड़ी कथा
कार्तिक माह में करवा चौथ (Karwa Chauth 2024) के पर्व को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व आज यानी 20 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही पति और पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व है। इस माह में कई महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं। इनमें करवा चौथ (Karwa Chauth 2024 Vrat Katha) का पर्व भी शामिल है। यह त्योहार हर साल बेहद उत्साह के साथ कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर विवाहित महिलाएं अखंड सुहाग की प्राप्ति के लिए निर्जला करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से पति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। वहीं, अविवहित लड़कियों की शीघ्र शादी हो जाती है। क्या आप जानते हैं कि इस व्रत को सर्वप्रथम किसने किया था? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में।
इस तरह हुई थी करवा चौथ की शुरुआत
पौराणिक कथा (Karwa Chauth Ki Katha) के अनुसार, एक बार देवी-देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध छिड़ गया था। युद्ध बहुत भयंकर था। ऐसे में देवी-देवताओं ने अपनी शक्तियों का प्रयोग किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी। देवताओं पर राक्षस हावी हो रहे थे। इस स्थिति में ब्रह्मदेव ने सभी देवियों को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चर्तुथी का व्रत करने के लिए कहा, जिसे करवा चौथ के नाम से जाना जाता है।
यह भी पढ़ें: Karwa Chauth 2024: करवा चौथ व्रत में जरूर करें इस कथा का पाठ, रिश्ते में आएगी मधुरताब्रह्मदेव ने कहा कि इस व्रत को करने से उनके पति दानवों से यह युद्ध जीत जाएंगे। इसके बाद सभी देवियों ने अपने पतियों के लिए करवा चौथ का व्रत किया। इसके प्रभाव से सभी देवताओं ने युद्ध में जीत हासिल की। तभी से करवा चौथ के व्रत की परंपरा शुरू हुई।
द्रौपदी ने भी किया था व्रत
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पर्वत पर अर्जुन नीलगिरी तपस्या में लीन थे। तब पांडवों पर कई प्रकार के संकट आने लगे। ऐसे में द्रौपदी ने जगत के पालनहार श्रीकृष्ण से मदद मांगी। श्रीकृष्ण ने कहा कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा माता का व्रत करें। उनके कहने पर द्रौपदी ने विधिपूर्वक व्रत किया। इसके प्रभाव से पांडवों को संकटों से छुटकारा मिल गया।