Kawad Yatra 2023: कावड़ यात्रा से मिलता है यह पुण्यदायी फल, जानिए इसके नियम
हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। सावन मास में भगवान शिव के भक्त कावड़ यात्रा कर महादेव को गंगाजल अर्पित करते हैं। सावन का महीना शुरू होते ही कावड़ यात्रा का प्रारंभ हो जाती है। कावड़ यात्रा किसी भी पवित्र जलस्रोत से किसी भी शिवधाम तक की जाती है। इस बार अधिकमास होने के कारण भक्तों को 2 महीनों तक अपनी भक्ति जाहिर करने का मौका मिलेगा।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Kawad Yatra 2023: कावड़ यात्रा शिव के भक्तों की एक वार्षिक तीर्थ यात्रा है। जो लोग उत्तराखंड के हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री आदि जैसे हिंदू तीर्थ स्थानों में गंगा नदी से पवित्र जल को लाकर महादेव को अर्पित करते हैं उन्हें कावड़ियों के रूप में जाना जाता है। यह त्योहार मानसून माह श्रावण जुलाई-अगस्त के दौरान चलता है। इस वर्ष कावड़ यात्रा 4 जुलाई से शुरू हो रही है और इसका समापन 31 अगस्त तक होगा। इस बार सावन की खासियत यह है कि अधिक मास होने के कारण सावन एक नहीं बल्कि 2 महीने का होगा।
क्या हैं कावड़ यात्रा के लाभ
कावड़ यात्रा करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यदि किसी दंपत्ति को संतान नहीं हो रही तो कावड़ यात्रा करने से उनको संतान सुख की प्राप्ति होती है। संतान के विकास के लिए भी कावड़ यात्रा बहुत लाभकारी है। इससे व्यक्ति को मानसिक प्रसन्नता मिलती है साथ ही मनोरोग का निवारण होता है। आर्थिक समस्या के समाधान हेतु कावड़ यात्रा शीघ्र व उत्तम फलदायी है।
कावड़ यात्रा के नियम
यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है। इसके पूर्व व पश्चात का सफर वाहन आदि से तय जा सकता है। इसके नियम थोड़े जटिल माने जाते हैं। कुछ लोग पूरी यात्रा नंगे पाव करते हैं। कावड़ यात्रा के दौरान कांवड़िया अपनी कावड़ को जमीन पर नहीं रख सकता। इसके अलावा बिना नहाए हुए कावड़ छूना पूरी तरह से वर्जित है। कावड़ यात्रा के दौरान कावड़िया मांस, मदिरा या किसी प्रकार का तामसिक भोजन को ग्रहण करना पूर्णतः वर्जित माना गया है। इसके अलावा कावड़ को किसी पेड़ के नीचे भी नहीं रखा जाता।
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