Khatu Shyam Ji: भक्तों की हर मुराद पुरी करते हैं बाबा खाटू, जानिए क्यों है इत्र चढ़ाने का इतना महत्व?
हिंदुओं में खाटू श्याम जी की विशेष मान्यता है। जिस प्रकार प्रत्येक देवी देवता को कुछ-न-कुछ विशेष भेंट चढ़ाया जाता है। जैसे शिव जी पर बेलपत्र और गणेश जी को दूर्वा चढ़ाई जाती है। ठीक उसी प्रकार खाटू श्याम जी को भी इत्र चढ़ाने की परम्परा है। ऐसे में आइए जानते हैं खाटू श्याम जी को इत्र चढ़ाने की इस प्रथा का शुभारंभ कैसे हुआ।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Khatu Shyam Mandir: खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। खाटू श्याम जी को तीन बाण धारी, हारे का सहारा और लख्तादार जैसे कई नामों से जाना जाता है। साथ ही उन्हें भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार भी माना गया है। असल में खाटू श्याम भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक हैं।
बाबा खाटू श्याम की श्रृंगार आरती के दौरान उनका विशेष शृंगार किया जाता है। इस शृंगार में सुगंधित गुलाब के फूलों और इत्र का उपयोग किया जाता है, जिस कारण बाबा श्याम का गर्भगृह फूलों की महक और इत्र की सुगंध भी महकता रहता है। इसके पीछे एक बड़ा ही खास कारण मिलता है, ऐसे में आइए जानते हैं वह कारण।
इसलिए चढ़ता है इत्र
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब बाबा खाटू श्याम अर्थात बर्बरीक छोटे थे, तब उनके जन्म स्थान के पास एक ऐसी नगरी थी जहां बहुत से गुलाब के पौधे थे। बर्बरीक जी अपना अधिकतर समय वहीं बिताना पसंद करते थे। साथ ही उन्हें को गुलाबों के साथ खेलना बहुत पसंद था। तभी से गुलाब उनके प्रिय फूल बन गए। इसलिए खाटूश्याम जी को उनके प्रिय गुलाब के फूल या फिर गुलाबों से बना इत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।यह भी है कारण
खाटू श्याम जी पर गुलाब या फिर गुलाब का इत्र चढ़ाने का अन्य कारण यह भी माना जाता है कि हिंदू धर्म में गुलाब को प्रेम का प्रतीक के रूप में देखा जाता है। ऐसे में जब भक्तगण बाबा श्याम जी को गुलाब का फूल, माला या इत्र अर्पित करते हैं, तब यह भक्त और भगवान के बीच के प्रेम और अटूट विश्वास को दर्शाता है।
मिलता हैं ये लाभ
माना जाता है कि जो भक्त खाटू श्याम जी को सच्चे मन से गुलाब अर्पित करते हैं, बाबा उस भक्तों की सभी गलतियां माफी करते हैं। साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। यह भी माना जाता है कि खाटू श्याम के मंदिर से इत्र लेकर आने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।यह भी पढ़ें - Khatu Shyam Ji: खाटू श्याम जी का शीश कुरुक्षेत्र से कैसे पहुंचा सीकर? जानिए इससे जुड़ी कथा