सिर्फ एक रात के लिए क्यों और किससे शादी करते हैं किन्नर, महाभारत से जुड़े हैं इसके तार
महाभारत को महाकाव्य कहा गया है। यह हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में से एक है। महाभारत के ही एक पात्र इरावन किन्नर समाज के देवता माने जाते हैं। इरावन अर्जुन और अनकी पत्नी नाग कन्या उलूपी की संतान हैं जो अरावन के नाम से प्रसिद्ध हैं। किन्नर किसी और से नहीं बल्कि अपने ही देवता से एक रात के लिए शादी करते हैं।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Mon, 28 Aug 2023 02:27 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म। Mahabharat Katha: किन्नर समाज में कई रिवाज प्रचलित हैं। ऐसा ही एक रिवाज है किन्नरों का एक रात के लिए विवाह करना और अगले दिन विधवाओं की तरह विलाप करना। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस रश्म के तार महाभारत काल से जुड़े हैं। आइए जानते है इस रिवाज के पीछे की पौराणिक कथा क्या है।
बलि के लिए इरवान आए आगे
माना जाता है कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने युद्ध में विजय के लिए मां काली की पूजा की थी। लेकिन इस पूजा को सम्पन्न करने के लिए एक राजकुमार की बलि देना आवश्यक था। अर्जुन के पुत्र इरावन बलि के लिए आगे आए, लेकिन साथ ही उन्होंने एक शर्त भी रखी की वह विवाह करने के बाद ही बलि देंगे। अब पांडवों के पास समस्या यह आ गई कि एक दिन के लिए कौन-सी राजकुमारी इरावन से विवाह करेगी और अगले दिन विधवा हो जाएगी।
श्रीकृष्ण ने किया था इरवान से विवाह
इस समस्या का समाधान श्री कृष्ण ने निकाला। उन्होंने इरावन की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए मोहिनी रूप धारण कर इरावन से विवाह किया। अगले दिन इरावन की बलि दे दी गई और श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप भी किया। उसी घटना को बाद से किन्नर इरावन को अपना भगवान मानते हैं और एक रात के लिए अपने ही कुल देवता इरावन से विवाह करते हैं।यहां देख सकते हैं किन्नरों का विवाह
अगर आप किन्नरों की शादी का जश्न देखना चाहते हैं तो, तमिलनाडु के कूवगाम में हर साल तमिल नव वर्ष की प्रथम पूर्णिमा से किन्नरों की शादी का सामारोह आरंभ हो जाता है। यह समारोह 18 दिनों तक खूब धूम-धाम से मनाया जाता है। 17वें दिन किन्नर शादी करते हैं, नई-नवेली दुल्हन की तरह सजते-संवरते हैं।किन्नरों के पुरोहित उन्हें मंगलसूत्र पहनाते हैं और शादी सम्पन्न हो जाती है। वहीं शादी के अगले दिन इरावन देव की मूर्ति को शहर में घुमाकर तोड़ दिया जाता है। इसके साथ ही किन्नर सुहागन से विधवा हुई स्त्री की तरह अपना श्रृंगार छोड़ कर विधवा की तरह विलाप भी करते हैं।
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