Kinnar Rituals: सिर्फ एक रात के लिए शादी करते हैं किन्नर, फिर अगले दिन मनाते हैं शोक, जानिए क्यों
महाभारत के ही एक पात्र इरावन देवता को किन्नर समाज का देवता माना जाता है। किन्नर अपने ही देवता इरावन से शादी करते हैं। माना जाता है कि विवाह के अगले दिन ही भगवान इरावन की मृत्यु हो जाती है जिस कारण से विवाह के अगले दिन वह विधवा हो जाते हैं और इसका शोक मनाते हैं। इस परम्परा का संबंध भहाभारत की एक कथा से माना गया है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Facts About Kinnar: हिंदू मान्यता के अनुसार, विवाहित महिला द्वारा मांग में सिंदूर भरने का रिवाज है, क्योंकि सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन्नर समाज भी अपनी मांग में सुंदर लगाते हैं। आपने विचार जरूर किया होगा, कि यह सिंदूर किसके नाम का होता है। चलिए जानते हैं इसके पीछे मिलने वाली पौराणिक कथा के बारे में।
कौन हैं इरावन देवता
अरावन, अर्जुन और अनकी पत्नी नाग कन्या उलूपी की संतान हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने युद्ध में विजय के लिए मां काली की पूजा की थी। इस पूजा को सम्पन्न करने के लिए एक राजकुमार की बलि जरूरी थी। तब अरावन बलि देने के लिए तैयार हो गए, लेकिन उनकी यह शर्त थी कि वह अविवाह नहीं मरना चाहते।
भगवान श्री कृष्ण ने निकाला समाधान
तब भगवान श्री कृष्ण ने इसका समाधान निकाला। उन्होंने इरावन की इच्छा पूर्ति के लिए मोहिनी रूप धारण किया और इरावन से विवाह किया। अगले दिन इरावन की बलि दे दी गई, जिसपर श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप भी किया। उसी घटना को बाद से किन्नर इरावन को अपना भगवान माना और इस परम्परा को आगे बढ़ाया।यह भी पढ़ें - May Month Vrat Tyohar 2024: अक्षय तृतीया से लेकर नारद जयंती तक, पढ़िए व्रत-त्योहार की सूची
किसके नाम का सजाते हैं सिंदूर
किन्नर समाज में अरवान देवता से विवाह और उसके बाद विधवा बनने के बाद भी किन्नर अपनी मांग भरते हैं। दरअसल किन समाज में गुरु को बहुत ही महत्व दिया जाता है। ऐसे में किन्नर द्वारा अपने गुरु की लंबी उम्र के लिए सिंदूर लगाया जाता है। माना जाता है कि किन्नर जिस घराने में शामिल होते हैं, उस घराने के गुरु के लिए अपनी मांग में सिंदूर लगाते हैं। जब तक किन्नर के गुरु जीवित रहते हैं, तब तक वह मांग में उनके नाम का सिंदूर अपनी मांग में सजाते हैं।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'