Move to Jagran APP

किस्सा: जब नन्हे बालक की बात नजरंदाज करना तुलसीदास को पड़ गया भारी

Kissa Tulsidas Ka तुलसीदास जी जब “रामचरितमानस” लिख रहे थे तो उन्होंने एक चौपाई लिखी। चौपाई लिखने के बाद तुलसीदास जी विश्राम करने अपने घर की ओर चल दिए। रास्ते में जाते हुए उन्हें एक लड़का मिला और बोला... उसने क्या कहा यह जानें इस किस्से में...

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 30 Dec 2020 10:30 AM (IST)
Hero Image
किस्सा: जब नन्हे बालक की बात नजरंदाज करना तुलसीदास को पड़ गया भारी
Kissa Tulsidas Ka: तुलसीदास जी जब “रामचरितमानस” लिख रहे थे, तो उन्होंने एक चौपाई लिखी:

सिय राम मय सब जग जानी,

करहु प्रणाम जोरी जुग पानी ।।

अर्थात–

पूरे संसार में श्री राम का निवास है, सबमें भगवान हैं और हमें उनको हाथ जोड़कर प्रणाम कर लेना चाहिए।

चौपाई लिखने के बाद तुलसीदास जी विश्राम करने अपने घर की ओर चल दिए। रास्ते में जाते हुए उन्हें एक लड़का मिला और बोला अरे महात्मा जी, इस रास्ते से मत जाइये आगे एक बैल गुस्से में लोगों को मारता हुआ घूम रहा है। और आपने तो लाल वस्त्र भी पहन रखे हैं तो आप इस रास्ते से बिल्कुल मत जाइये।

तुलसीदास जी ने सोचा – ये कल का बालक मुझे चला रहा है। मुझे पता है – सबमें राम का वास है। मैं उस बैल के हाथ जोड़ लूँगा और शान्ति से चला जाऊंगा।

लेकिन तुलसीदास जी जैसे ही आगे बढे तभी बिगड़े बैल ने उन्हें जोरदार टक्कर मारी और वो बुरी तरह गिर पड़े।

अब तुलसीदास जी घर जाने की बजाय सीधे उस जगह पहुंचे जहाँ वो रामचरित मानस लिख रहे थे। और उस चौपाई को फाड़ने लगे, तभी वहां हनुमान जी प्रकट हुए और बोले – श्रीमान ये आप क्या कर रहे हैं?

तुलसीदास जी उस समय बहुत गुस्से में थे, वो बोले – ये चौपाई बिल्कुल गलत है। ऐसा कहते हुए उन्होंने हनुमान जी को सारी बात बताई।

हनुमान जी मुस्कुराकर तुलसीदास जी से बोले – श्रीमान, ये चौपाई तो शत प्रतिशत सही है। आपने उस बैल में तो श्री राम को देखा लेकिन उस बच्चे में राम को नहीं देखा जो आपको बचाने आये थे। भगवान तो बालक के रूप में आपके पास पहले ही आये थे लेकिन आपने देखा ही नहीं। ऐसा सुनते ही तुलसीदास जी ने हनुमान जी को गले से लगा लिया।

गंगा बड़ी, न गोदावरी, न तीर्थ बड़े प्रयाग।

सकल तीर्थ का पुण्य वहीं, जहाँ हदय राम का वास।।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।

ये किस्सा यहां इस उद्देश्य से सुनाया गया है कि आप पहचाने कि कौन आपकी हित की बात सोच रहा है। भले ही उम्र भेष कोई भी हो।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '