विवाह की इन रस्मों में छिपा है वैज्ञानिक महत्व
हिन्दू धर्म में शादी से जुड़ी रस्मों का विशेष महत्व है। लेकिन क्या आप जानते हैं शादी की रस्मों में विज्ञान छिपा है? विवाह के दौरान की जाने वाली रस्मों का न केवल अध्यात्मिक महत्व है बल्कि कुछ वैज्ञानिक महत्व भी है। आइए जानते हैं-
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 18 Jun 2023 06:38 PM (IST)
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क; सनातन संस्कृति में रीति रिवाज का विशेष ध्यान रखा जाता है। इन सब में विवाह के समय विधि-विधान को बड़ी बारीकी से निभाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि विवाह को वर एवं वधू के नए जीवन की शुरुआत कहा जाता है। इसलिए वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे, इस उद्देश्य से विवाह के समय कई प्रकार के रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। यह परंपराएं प्राचीन काल से भारत में चली आ रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विवाह में की जाने वाली कुछ परंपराओं के पीछे न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी छिपे हुए हैं? आइए जानते हैं, विवाह के कुछ ऐसे रस्म जिनके पीछे छिपे हैं वैज्ञानिक कारण।
क्यों की जाती है हल्दी रस्म?
आयुर्वेद में हल्दी को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। विवाह से पहले वर एवं वधु के शरीर पर हल्दी लगाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर पर हल्दी का रंग लगाने से त्वचा में निखार आता है और इसे हिन्दू धर्म में बहुत ही शुभ माना गया है। लेकिन इन सभी के साथ हल्दी के इस्तेमाल से त्वचा पर मौजूद कई प्रकार के खतरनाक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इससे शरीर का ब्लड सरकुलेशन सक्रिय रहता है।
क्या है मेहंदी लगाने का महत्व
मेहंदी को न केवल शुभ कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। बल्कि इसके पीछे औषधीय गुण भी छिपे हुए हैं। बता दें की मेहंदी शीतल प्रवृत्ति की होती है, जिससे मानसिक तनाव दूर रहता है। साथ ही इसकी खुशबू से शरीर में नकारात्मकता नहीं आती है। इसलिए विवाह के दौरान होने वाले मानसिक तनाव को दूर रखने के लिए महंदी का इस्तेमाल किया जाता है।क्यों लगाया जाता है सिंदूर
हम सभी यह जानते हैं कि विवाहित महिलाएं मांग में सिंदूर जरूर लगाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिंदूर में हल्दी, नींबू और बहुत कम मात्रा में मरकरी डाला जाता है? बता दें कि सिंदूर में मौजूद मरकरी और हल्दी के कारण मस्तिष्क को आराम पहुंचता है और तनाव दूर हो जाता है।
क्या है अग्नि कुंड का महत्व
हिन्दू में अग्नि को साक्षात देवता के रूप में पूजा जाता है। किसी भी धार्मिक कार्य जैसे हवन, विवाह, गृह प्रवेश इत्यादि में अग्नि को साक्षी रखकर कर्म-कांड किया जाता है। लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व भी छिपा हुआ है। बता दें कि अग्नि से निकलने वाले धुएं से वातावरण शुद्ध रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अग्नि में डाली जाने वाली लकड़ी, घी, अक्षत इत्यादि से जो धुआं निकलता है, उससे वातावरण में मौजूद कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को शुद्ध हवा की प्राप्ति होती है। जिससे से मन भी प्रसन्न रहता है।डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।