विज्ञान से लेकर आध्यात्म तक, जानिए क्या है 108 अंक का महत्व?
ज्योतिष शास्त्र में अंकों का विशेष महत्व है। इन सब में 108 अंक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में 108 अंक का विस्तार से वर्णन किया गया है। आइए जानते हैं क्या है 108 अंक का ज्योतिष और आध्यात्मिक महत्व?
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Tue, 30 May 2023 04:27 PM (IST)
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क; Importance of 108 Number: सनातन धर्म और ज्योतिष शास्त्र में अंक का विशेष महत्व है। बता दें कि इन सभी में 108 अंक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जाप माला के संख्या की बात करें तो उसमें भी 108 होते हैं, लेकिन ऐसा क्यों है? इसका उत्तर न केवल ज्योतिष शास्त्र में बल्कि विज्ञान में भी विस्तार से बताया गया है। आज हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं और जानेंगे कि क्या है 108 अंक का महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक मान्यताएं?
संपूर्ण ब्रह्मांड का स्वरूप है 108
वैदिक धर्म ग्रंथ एवं शास्त्रों में बताया गया है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड में कुल 27 तारामंडल हैं, जिन्हें नक्षत्र भी कहा गया है। इन सभी तारामंडल की चार दिशाएं हैं। इसलिए हम यदि 27 को 4 से गुणा करते हैं तो कुल 108 संख्या आती है। जिसका अर्थ यह निकलकर आता है कि संपूर्ण ब्रह्मांड का स्वरूप 108 अंक है।
सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा से भी जुड़ता है 108 अंक का रिश्ता
वेद एवं पुराणों में ऋषि और मुनियों ने बताया है कि सौरमंडल में पृथ्वी के अलावा अन्य कितने ग्रह और तारे हैं। उनके बीच में दूरी कितनी है या उनके व्यास कितनी है इत्यादि। गणित में व्यास जिसे इंग्लिश में 'डायामीटर' भी कहते हैं, एक चक्र में ऐसी रेखांश होती है जो चक्र के केंद्र से निकलता है और किसी भी अति बिंदु के चक्र पर स्थित होता है। आश्चर्य की बात यह है कि इस बात का आकलन सैकड़ों साल पहले ही ऋषि-मुनियों द्वारा कर लिया गया था। बता दें कि जितनी सूर्य से पृथ्वी की दूरी है वह सूर्य के व्यास से 108 गुना अधिक है। चंद्रमा की जितनी दूरी है, वह चंद्रमा के व्यास से 108 गुना अधिक है। इसके साथ यह भी बताया गया है कि सूर्य का कुल व्यास पृथ्वी के कुल व्यास से 108 गुना अधिक है।ज्योतिष शास्त्र से क्या है 108 अंक का संबंध
विज्ञान में बताया गया है कि सूर्य के कुल नौ ग्रह होते हैं, जिसमें पृथ्वी तीसरा ग्रह है। वहीं ज्योतिष 12 राशियां होती हैं। जब किसी व्यक्ति की जन्मपत्री बनाई जाती है तो प्रत्येक राशि में ग्रह विभिन्न प्रकार से स्थापित हो सकते हैं। इसलिए यदि हम सभी का आकलन करें तो सभी 12 राशियों में हर ग्रह 108 प्रकार से स्थापित हो सकता है। इसलिए 108 अंक पर ज्योतिष शास्त्र भी निर्भर करता है।
आयुर्वेद से भी है 108 अंक का विशेष संबंध
आयुर्वेद विद्वानों के अनुसार, हमारे शरीर में कुल 108 दबाव बिंदु, जिन्हें अंग्रेजी 'प्रेशर पॉइंट; भी कहा जाता है, मौजूद हैं। इन दबाव बिंदुओं पर यदि सही प्रकार से दबाव डाला जाता है तो शरीर की काई प्रकार की बीमारियां दूर हो सकती हैं और व्यक्ति पुनः निरोगी बन सकता है। इसके साथ मनुष्य का शरीर केवल 108 डिग्री फारेनहाइट तक का ही तापमान सहन कर सकता है। इससे अधिक तापमान यदि होता है तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।भगवान शिव के तांडव में भी चुका है 108 का रहस्य
वेद एवं पुराणों में बताया गया है कि जब भगवान शिव अत्यंत क्रोधित होते हैं या सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं, तब वह मुख्य रूप से तांडव करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव के तांडव में 108 प्रकार की मुद्राएं हैं। जिसका अर्थ यह है कि भगवान शिव 108 मुद्राओं में तांडव नृत्य करते हैं। वहीं भारतीय नृत्य शैली में भी कुल 108 प्रकार के ही नृत्य शैलियां हैं।