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Magha Shraddh 2024: कब है मघा श्राद्ध? तर्पण के साथ पितरों की मुक्ति के लिए करें ये काम

मघा श्राद्ध उस दिन किया जाता है जब पितृ पक्ष में दोपहर के समय मघा नक्षत्र प्रबल होता है। यह दिन (Magha Shraddh 2024) बहुत खास माना जाता है क्योंकि ऐसा मघा नक्षत्र पितरों के तर्पण के लिए सबसे उत्तम होता है। हिंदू धर्म में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए और आध्यात्मिक संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए इस दिन को मनाते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 27 Sep 2024 01:57 PM (IST)
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Magha Shraddh 2024: मघा श्राद्ध के नियम।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मघा श्राद्ध को पितृ पक्ष का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। यह एक विशेष अनुष्ठान है, जो पूर्वजों को समर्पित है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत ही उत्तम दिन है। इस साल यह श्राद्ध 29 सितंबर, दिन रविवार को मनाया जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन भाव के साथ अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं और उनके नाम से दान-पुण्य करते हैं, इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती।

साथ ही परिवार में खुशहाली आती है, तो आइए इसकी (Magha Shraddh 2024) तिथि और पूजन नियम को जानते हैं।

कब है मघा श्राद्ध? (Kab Hai Magha Shraddh 2024?)

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल मघा श्राद्ध की शुरुआत 29 सितंबर को भोर 3 बजकर 48 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 30 सितंबर सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर होगा। बता दें, माघ नक्षत्र के कुतुब मुहूर्त में पितरों का श्राद्ध कर्म करना अच्छा माना जाता है। इससे उनकी आत्मा को मुक्ति मिलती है।

मघा श्राद्ध के नियम

पिंड दान - इस तिथि पर घी, शहद और तिल मिश्रित चावल से पिंड दान करना चाहिए, इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।

तर्पण - पितरों की आत्मा को तृप्त करने के लिए तर्पण में काले तिल, जौ और कुशा मिश्रित जल अर्पित किया जाता है।

भोजन अर्पित करना - मृतक के पसंदीदा व्यंजनों सहित विशेष भोजन तैयार किया जाता है और ब्राह्मण भोज कराया जाता है। इससे परिवार में संपन्नता आती है।

दान - श्राद्ध के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े और क्षमता अनुसार धन का दान करना चाहिए, इससे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।