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Kojagari Puja 2024: इस दिन की जाएगी कोजागरी पूजा, जानें मां लक्ष्मी के पूजन का मुहूर्त और महत्व

आश्विन महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के दिन महिलाएं अपनी संतान की खुशहाली के लिए व्रत आदि करती हैं। कोजागरी पूर्णिमा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल ओडिशा तथा असम जैसे राज्यों में मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार आश्विन पूर्णिमा की रात्रि पर माता लक्ष्मी का धरती पर आगमन होता है इसलिए यह दिन लक्ष्मी की जी कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम माना गया है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 01 Oct 2024 12:56 PM (IST)
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Kojagari Puja 2024 कोजागरी पूजा तिथि और महत्व।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कोजागर पूजा (Kojagar Puja 2024) के दिन मुख्य रूप से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। यह पूजा शरद पूर्णिमा के दिन होती है इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा और व्रत करने से साधक को धन संबंधी समस्याओं से लाभ मिल सकता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस वर्ष कोजागरी पूजा कब की जाएगी। 

कोजागर पूजा का शुभ मुहूर्त (Kojagari Puja shubh Muhurat)

आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात 08 बजकर 40 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 17 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में कोजागर व्रत बुधवार, 16 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दौरान शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -  

  • कोजागर पूजा निशिता काल - रात्रि 11 बजकर 42 से 12 बजकर 32 मिनट तक
  • कोजागर पूजा के दिन चंद्रोदय - शाम 05 बजकर 05 मिनट पर

कोजागर पूजा का  महत्व (Kojagari Puja Importance)

कोजागर पूजा का पर्व नवरात्र के दौरान मनाया जाता है, जो मुख्य रूप से विजयादशमी के पांच दिन बाद आती है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस विशेष दिन पर भक्त अपने घरों में मिट्टी का दीपक जलाकर मां लक्ष्मी को अपने घर आमंत्रित हैं। साथ ही पूजा के दौरान दरवाजे और खिड़कियां खुली छोड़ दी जाती हैं। इसी के साथ, किसान अच्छी फसल की कामना के साथ भी इस दिन देवी लक्ष्मी की आराधना करते हैं।

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इस तरह करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न

कोजागरी पूजा के दिन खीर बनाकर उसे चांदनी रात में एक बर्तन में रख दें। पूजा में मां लक्ष्मी को इस खीर का भोग लगाएं और इसे प्रसाद के रूप में बाटें। साथ ही इस दिन चांद निकलने के बाद घर के सामने 11 दीपक जलाएं। इस कार्य को करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और साधक पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखती हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।