Janmashtami 2023 Date: 6 या 7 सितंबर, कृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र कब? जानिए तिथि और समय
Janmashtami 2023 Kab Hai हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि के समय भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Wed, 06 Sep 2023 11:52 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Krishna Janmashtami 2023 Correct Date 6th ya 7 September: आज देशभर में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण का 5250वां जन्मोत्स्व मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि के समय भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी पर्व के दिन रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि के समय भगवान श्री कृष्ण की उपासना का विधान है और इसी नक्षत्र के आधार पर जन्माष्टमी व्रत भी रखा जाता है। आइए आचार्य श्याम चंद्र मिश्र जी से जानते हैं, किस दिन रखा जाएगा जन्माष्टमी व्रत तिथि, रोहिणी नक्षत्र का समय और शुभ मुहूर्त?
कृष्ण जन्माष्टमी 2023 रोहिणी नक्षत्र समय
आचार्य मिश्र बताते हैं कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 06 सितंबर दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी और 07 सितंबर शाम 04 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। वहीं इस दिन रोहिणी नक्षत्र 06 सितंबर सुबह 09 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा और 07 सितंबर सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। ऐसे में जो लोग रोहिणी नक्षत्र में पूजा-पाठ करेंगे, वह कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 06 सितंबर 2023, बुधवार के दिन रखेंगे। वहीं वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी 07 सितंबर 2023, गुरुवार के दिन कृष्ण जन्माष्टमी व्रत रखेंगे।
क्यों दो दिन मनाया जाता है कृष्ण जन्माष्टमी पर्व
प्रत्येक वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर कई लोगों में असमंजस की स्थिति होती है। यह सवाल भी उठता है कि कृष्ण जन्माष्टमी पर्व 2 दिन क्यों मनाया जाता है? बता दें की स्मार्त संप्रदाय के अनुयायी जन्माष्टमी पर्व के दिन रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय भगवान श्री कृष्ण की उपासना करते हैं। वहीं वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी जन्माष्टमी पूजा अगले दिन करते हैं। इसलिए दो दिन जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है।डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।