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दशकों बाद कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे हैं द्वापरकालीन 4 शुभ संयोग, प्राप्त होगा दोगुना फल

सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी (Shree Krishna Janmashtami 2024) का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद महीने में मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 13 Aug 2024 05:36 PM (IST)
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Shree Krishna Janmashtami 2024: कृष्ण जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Janmashtami 2024: हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृ्ष्ण का अवतरण हुआ था। इस शुभ अवसर पर कृष्ण मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। साथ ही मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। साधक भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर व्रत रख कृष्ण कन्हैया की भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही भजन-कीर्तन के माध्यम से माखनचोर का गुणगान करते हैं। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर दशकों बाद द्वापरकालीन शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधक या व्रती को दोगुना फल प्राप्त होगा।

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शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को देर रात 03 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 27 अगस्त को देर रात 02 बजकर 19 पर होगा। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए शुभ समय 27 अगस्त को देर रात 12 बजकर 01 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक है। इस समय में साधक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं।

द्वापरकालीन शुभ संयोग (Janmashtami 2024 Auspicious yoga)

सावन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृतिका नक्षत्र का संयोग दोपहर 03 बजकर 56 मिनट से हो रहा है। भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण के समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा। इस दिन चंद्रमा भी वृषभ राशि में रहेंगे। चंद्रमा का गोचर 25 अगस्त को रात 10 बजकर 19 मिनट पर वृषभ राशि में होगा। अतः मन के कारक चंद्र देव भी वृषभ राशि में रहेंगे। भगवान श्रीकृष्ण की लग्न राशि वृषभ है। इस शुभ अवसर पर हर्षण योग का निर्माण रात 10 बजकर 18 मिनट से हो रहा है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग संध्याकाल 03 बजकर 55 मिनट से हो रहा है। इस योग का समापन 27 अगस्त को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर होगा। इसके अलावा, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 26 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 49 मिनट पर

चन्द्रोदय- देर रात 11 बजकर 20 मिनट पर

चंद्रास्त- दोपहर 12 बजकर 58 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 12 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।