Krishna Leela: भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा को चावल के बदले दी थी 2 लोक की संपत्ति, पढ़ें दिलचप्स कथा
भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बचपन में कई प्रमुख लीलाएं की हैं जिनका वर्णन शास्त्रों में देखने को मिलता है। इनमें से एक लीला है भगवान श्रीकृष्ण (Krishna and Sudama friendship Story) और उनके परम मित्र सुदामा की। अपने जीवन में गरीबी का सामना कर रहे सुदामा ने भगवान श्रीकृष्ण से मिलने के लिए द्वारका नगरी गए हैं जहां कृष्ण जी ने अपने आंसुओं से सुदामा के चरण धोएं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Krishna and Sudama Interesting Story: सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही माखन और मिश्री का भोग लगाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-शांति का आगमन होता है। आज के समय में भगवान श्रीकृष्ण की कई कथाएं सुनने को मिलती हैं, जिससे ज्ञान प्राप्त होता है। क्या आपको पता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा को 2 मुट्ठी के बदले दो लोक की संपत्ति प्रदान की थी। अगर नहीं पता, तो आइए पढ़ते हैं इससे जुड़ी कथा।
भावपूर्ण है भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती
पौराणिक कथा के अनुसार, गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद कृष्ण (Krishna Leela) और सुदामा अपने अपने घर वापस चले गए। सुदामा ब्राह्मण जाति का था। वेद पाठ के द्वारा अपना जीवन व्यतीत करने लगा। गृहस्थ जीवन में पड़ने की वजह से सुदामा को जीवन में गरीबी का सामना करना पड़ा। ऐसी स्थिति में पत्नी सुशीला ने सुदामा से कहा कि द्वारकाधीश श्रीकृष्ण से मदद मांगे।यह भी पढ़ें: Nag Panchami पर इस समय खुलेंगे उज्जैन के नागचंद्रेश्वर के कपाट, विश्व में और कहीं नहीं है ऐसी मूर्ति
अधिक जोर देने के बाद सुदामा भगवान श्रीकृष्ण से मिलने के लिए पहुंचे। जब श्रीकृष्ण को यह पता चला कि उनका मित्र सुदामा उनसे मिलने के लिए आया है, तो कृष्ण जी नंगे पांव दौड़ कर महल के द्वार पर उन्हें लेने के लिए पहुंचे। सुदामा की दीन अवस्था देख भगवान बेहद भावुक हुए और उन्हें अपने गले से लगाया। इसके बाद सुदामा को राज सिंहासन पर बैठाकर अपने आंसुओं से सुदामा के चरण धोएं। इसके पश्चात प्रभु ने सुदामा से सवाल किया कि तुम मेरे लिए कुछ लाए हो? इतना सुनकर सुदामा चावल की पोटली को छुपाकर बोले, कुछ भी नहीं। इसके बाद प्रभु ने कहा कि मेरे परम मित्र झूठ बोलते हो, क्या तुम आज भी बचपन की तरह मेरे हिस्से के चावल खाना चाहते हो।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।'
सुदामा ने दी चावल की पोटली
यह सुनकर सुदामा ने चावल की पोटली को श्री कृष्ण को दे दी। पोटली देखकर प्रभु बेहद प्रसन्न हुए और एक मुट्ठी चावल खाने के बदले एक लोक की संपत्ति दे दी और दूसरी मुट्ठी चावल खाने के बदले दो लोक की संपत्ति दे दी।रुक्मणि ने किया ये सवाल
जब प्रभु तीसरी मुट्ठी के चावल को खाने वाले थे, तो इतने में ही रुक्मणि ने कृष्ण जी का हाथ पकड़कर कहा कि अगर आप तीनों लोक की संपत्ति सुदामा को दे देंगे, तो हम सब और आपकी प्रजा कहां जाएंगे? यह बात सुनकर भगवान कृष्ण रुक गए। इस तरह प्रभु ने सुदामा की मदद की और प्रेमपूर्वक उन्हें वस्त्र आभूषण देकर विदा किया।यह भी पढ़ें: Pardeshwar Mahadev Temple: देश का इकलौता ऐसा मंदिर, जहां स्थित है सबसे भारी शिवलिंगअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।'