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Labh Panchami 2024: नवंबर में कब मनाई जाएगी लाभ पंचमी, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

भारत के अधिकतर राज्यों विशेषकर गुजरात में दीपोत्सव के समापन के बाद लाभ पंचमी का पर्व मनाया जाता है जिसे सौभाग्य पंचमी या ज्ञान पंचम के रूप में जाना जाता है। पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल यह पर्व कब मनाया जाएगा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 05 Nov 2024 11:00 AM (IST)
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Labh Panchami 2024 नवंबर में कब है लाभ पंचमी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मान्यता है कि लाभ पंचमी के दिन की गई पूजा से साधक को व्यवसाय आदि में लाभ देखने को मिलता है, और सौभाग्य की वृद्धि होती है। साथ ही इस दिन को किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए भी शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन को लाभ पंचमी के रूप में जाना जाता है। इस दिन खासतौर पर धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं लाभ पंचमी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

लाभ पंचमी शुभ मुहूर्त (Labh Panchami Puja Muhurat)

कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 06 नवंबर को मध्य रात्रि 12 बजकर 16 मिटन पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 07 नवंबर को मध्य रात्रि 12 बजकर 41 मिनट पर होगा। इस प्रकार लाभ पंचमी बुधवार, 06 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

प्रातः काल लाभ पंचमी पूजा मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 37 मिनट से सुबह 10 बजकर 15 मिनट तक

लाभ पंचमी पूजा विधि

  • लाभ पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश, शिव जी और देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें।
  • पूजा में मिठाई और फल आदि अर्पित करें।
  • गणेश जी को चंदन, सिंदूर, फूल और दूर्वा अर्पित करें।
  • भगवान शिव को बिल्व पत्र, धतूरे के फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करें।
  • लक्ष्मी जी को हलवा और पूड़ी का भोग लगाएं।
  • अंत में आरती करते हुए मां लक्ष्मी से समृद्धि और सफलता के लिए प्रार्थना करें।

(Picture Credit: Freepik) (AI Image)

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क्या है मान्यता

लाभ पंचमी के अवसर पर व्यवसायी लोग अपने बहीखाता और लेखा-जोखा का पूजन करते हैं। नए बहीखाता पर खाता पर शुभ-लाभ और स्वस्तिक बनाकर उनका उद्घाटन किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से आगामी वर्ष में व्यापार में वृद्धि के योग बनते हैं। साथ ही इस दिन कई साधक सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए व्रत भी रखते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है