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Lakshmi Narayana Stotram: मां लक्ष्मी की पूजा के समय करें यह एक काम, जीवन भर नहीं होगी धन की कमी

मां लक्ष्मी की पूजा से जातक के जीवन में व्याप्त धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही आय के नए- नए मार्ग प्राप्त होते हैं। अतः सभी को श्रद्धा भाव के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। वहीं अगर आप धन में वृद्धि चाहते हैं तो आपको शुक्रवार के दिन श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 27 Sep 2024 06:30 AM (IST)
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Lakshmi Narayana Stotram: मां लक्ष्मी की पूजा के समय करें यह एक काम।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lakshmi Narayan Stotra: माता लक्ष्मी की पूजा शास्त्रों में बेहद शुभ मानी गई है। शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा विधिवत करते हैं और उनके लिए उपवास रखते हैं, उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही धन की देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है, जो जातक लगातार धन की समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें शुक्रवार की रात 'श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्र' का पाठ जरूर करना चाहिए, जिसके प्रभाव से धन और वैभव में वृद्धि होगी। तो आइए यहां पढ़ते हैं -

।। श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम्।।

चक्रं विद्या वर घट गदा दर्पणम् पद्मयुग्मं दोर्भिर्बिभ्रत्सुरुचिरतनुं मेघविद्युन्निभाभम् ।

गाढोत्कण्ठं विवशमनिशं पुण्डरीकाक्षलक्ष्म्यो-रेकीभूतं वपुरवतु वः पीतकौशेयकान्तम् ॥

शंखचक्रगदापद्मकुंभाऽऽदर्शाब्जपुस्तकम्।

बिभ्रतं मेघचपलवर्णं लक्ष्मीहरिं भजे ॥

विद्युत्प्रभाश्लिष्टघनोपमानौ शुद्धाशयेबिंबितसुप्रकाशौ।

चित्ते चिदाभौ कलयामि लक्ष्मी- नारायणौ सत्त्वगुणप्रधानौ ॥

लोकोद्भवस्थेमलयेश्वराभ्यां शोकोरुदीनस्थितिनाशकाभ्याम्।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

सम्पत्सुखानन्दविधायकाभ्यां भक्तावनाऽनारतदीक्षिताभ्याम् ।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

दृष्ट्वोपकारे गुरुतां च पञ्च-विंशावतारान् सरसं दधत्भ्याम् ।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

क्षीरांबुराश्यादिविराट्भवाभ्यां नारं सदा पालयितुं पराभ्याम् ।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

दारिद्र्यदुःखस्थितिदारकाभ्यां दयैवदूरीकृतदुर्गतिभ्याम्

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

भक्तव्रजाघौघविदारकाभ्यां स्वीयाशयोद्धूतरजस्तमोभ्याम्।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

रक्तोत्पलाभ्राभवपुर्धराभ्यां पद्मारिशंखाब्जगदाधराभ्याम्।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

अङ्घ्रिद्वयाभ्यर्चककल्पकाभ्यां मोक्षप्रदप्राक्तनदंपतीभ्याम्।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

इदं तु यः पठेत् स्तोत्रं लक्ष्मीनारयणाष्टकम्।

ऐहिकामुष्मिकसुखं भुक्त्वा स लभतेऽमृतम् ॥

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