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Lathmar Holi 2024: कब और कैसे हुई लट्ठमार होली की शुरुआत? जानें इससे जुड़ी खास बातें

पूरे ब्रजमंडल में होली के पर्व को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। फूलों की होली के साथ इस त्योहार की शुरुआत होती है और रंगों की होली के साथ समाप्त होती है। बरसाना मथुरा और वृंदावन में कई तरह की होली खेली जाती है। इनमें से लट्ठमार होली बेहद प्रसिद्ध है। ब्रज की इस होली में शामिल होने के लिए भक्त देश-विदेश से आते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 12 Mar 2024 02:47 PM (IST)
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Lathmar Holi 2024: कब और कैसे हुई लट्ठमार होली की शुरुआत?
Lathmar Holi 2024 Date: देशभर में ब्रज की होली बेहद प्रसिद्ध है। पूरे ब्रजमंडल में होली के पर्व को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस त्योहार का होली के हुरियारों को बेसब्री से इंतजार रहता है। फूलों की होली के साथ इस त्योहार की शुरुआत होती है और रंगों की होली के साथ समाप्त होती है। बरसाना, मथुरा और वृंदावन में कई तरह की होली खेली जाती है। इनमें से लट्ठमार होली बेहद प्रसिद्ध है। ब्रज की इस होली में शामिल होने के लिए भक्त देश-विदेश से आते हैं। यह पर्व श्री राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है, तो चलिए जानते हैं कि लट्ठमार होली की शुरुआत कब और कैसे हुई।

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ऐसे हुई लट्ठमार होली की शुरुआत

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्री कृष्ण राधा जी मिलने के लिए बरसाना गांव गए, तो वह राधा जी और उनकी संग की सखियों को चिढ़ाने लगे। ऐसे में राधा जी और सखियों ने कृष्ण और ग्वालों को सबक सिखाने के लिए लाठी से पीटकर दूर करने लगीं। मान्यता है कि तभी से बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत हुई। कहा जाता है कि लट्ठमार होली की शुरुआत लगभग 5000 वर्ष पहले हुई थी।

कब है लट्ठमार होली?

लट्ठमार होली के उत्सव में लोग अधिक संख्या में शामिल होते हैं। इस वर्ष 18 मार्च को बरसाना और 19 मार्च को नंदगांव में लट्ठमार होली का उत्सव मनाया जाएगा। इस पर्व के दौरान महिलाएं लट्ठ से हुरियारों (पुरुषों) को बेहद मजाकिया अंदाज में पीटती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि लट्ठमार होली बरसाना और नंदगांव के लोगों के बीच खेली जाती है। लट्ठमार होली के लिए दिन फाग निमंत्रण दिया जाता है।

बेहद खास है लट्ठमार होली

लट्ठमार होली के साथ ब्रज की संस्कृति भी श्रद्धालुओं को झंकृत करती है। ब्रज में होली उत्सव के दौरान गीत, पद-गायन की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है।

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।