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Laws of Karma: व्यक्ति के कर्म ही तय करते हैं उसके जीवन की दिशा, जानिए क्या कहते हैं कर्म के नियम

जीवन में हर व्यक्ति कुछ-न-कुछ कर्म करता है। भगवान श्रीकृष्ण गीता में स्वयं कहते हैं कि कोई भी मनुष्य क्षण भर भी कर्म किए बगैर नहीं रह सकता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊपर उठाते हैं। और कर्म ही ऊंचाई से उठाकर जमीन पर भी पटक सकते हैं।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Sun, 11 Jun 2023 11:18 AM (IST)
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Laws of Karma कर्मों के अनुसार कब मिलता है मनुष्य को फल
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Laws of Karma: हिंदू धर्म में माना गया है कि हमें हमारे कर्मों के अनुसार ही शुभ या अशुभ फल प्राप्त होता है। मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा ही फल भोगना पड़ता है। इन फलों का निर्धारण समय खुद करता है। इसलिए व्यक्ति को सोच-समझकर ही अपने कर्म करने चाहिए। आइए जानते हैं क्या कहते हैं कर्म नियम।

व्यक्ति को किससे डरना चाहिए

कर्म नियमों के अनुसार, कर्म का योग ही ईश्वर है। व्यक्ति को ईश्वर से नहीं बल्कि अपने बुरे कर्मों से डरना चाहिए। क्योंकि ईश्वर आपको माफ कर सकते हैं। लेकिन आपके बुरे कर्म आपको कभी माफ नहीं करते। हम अच्छे कर्मो के सहारे स्वर्ग में जा सकते हैं वहीं बुरे के द्वारा व्यक्ति को नरक की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं।

कर्मों से दोस्ती करने के लाभ

जिस व्यक्ति की सोच जैसी होती है। उसके कर्म वैसे ही होते हैं। अगर व्यक्ति अपने कर्मों से ही दोस्ती कर लेता है तो वह हमेशा फायदे में रहता है। कर्म नियमों के अनुसार, व्यक्ति को हमेशा कर्म करते रहना चाहिए। ऐसा करने से जिंदगी आपको खूबसूरत मौके देती रहेगी। जो नियमों में बंधकर जीवन यापन करता है वह लक्ष्य की प्राप्ति भी करता है। कर्म को यदि हम पूजा बना लें तो बंधनों से मुक्ति भी संभव है।

कर्मों के कारण इंद्र को भी झेलना पड़ा परिणाम

कर्म वो आईना है जो हमें हमारा असली चेहरा दिखा देता है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपनी खूबसूरती से नहीं बल्कि अपने कर्मों से बड़ा होता है। व्यक्ति को हमेशा ऐसे कर्म करने चाहिए, जिससे वह किसी के काम आ सकें। कर्मों की ताकत इतनी है कि इसी के चलते स्वर्ग का सुख-ऐश्वर्य भोगने के पश्चात इंद्र को भी अच्छे कर्मो के अभाव में दुबारा योनियों में भटकना पड़ा था।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'