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Maa Laxmi Puja: मां लक्ष्मी की पूजा के साथ करें शुक्रवार की शुरुआत, जीवन भर नहीं होगी धन की कमी

शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भक्त इस दिन पर धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं उन्हें जीवन में कभी किसी चीज के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है। इसके साथ ही शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा के बाद उनकी भाव के साथ आरती अवश्य करनी चाहिए।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 02 Aug 2024 07:00 AM (IST)
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Maa Laxmi Puja: माता लक्ष्मी की आरती -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शुक्रवार का दिन सनातन धर्म में काफी अच्छा माना जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी लक्ष्मी की विधि अनुसार पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में कभी धन-वैभव का अभाव नहीं रहता है। साथ ही मां लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती हैं।

वहीं, जो लोग इस दिन का उपवास रखते हैं और मां की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, उनकी सभी परेशानियों का अंत होता है। इसके अलावा इस दिन माता लक्ष्मी की आरती भाव के साथ अवश्य करनी चाहिए, जो परम मंगलकारी है।

।।लक्ष्मी जी आरती।। (Laxmi Mata Ki Aarti Lyric In Hindi)

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।

हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।

सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।

सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।

सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।

उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

देवी लक्ष्मी पूजन मंत्र

1. ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।

2. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।