Laxmi Puja: शुक्रवार के दिन करें श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ, घर में होगा सुख-समृद्धि का आगमन
शुक्रवार के दिन धन की देवी की पूजा का विधान है। इस विशेष दिन जो जातक मां की पूजा सच्ची श्रद्धा के साथ करते हैं उन्हें धन और वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्रवार के दिन सुबह उठकर मां लक्ष्मी की पूजा भाव के साथ करें। देवी को कमल का फूल चढ़ाएं और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें जो इस प्रकार है -
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Fri, 23 Feb 2024 07:00 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Laxmi Chalisa Ka Path: सनातन धर्म में माता लक्ष्मी की पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। शुक्रवार के दिन धन की देवी की पूजा का विधान है। इस विशेष दिन जो जातक मां की पूजा सच्ची श्रद्धा के साथ करते हैं उन्हें धन और वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्रवार के दिन सुबह उठकर मां लक्ष्मी की पूजा भाव के साथ करें। देवी को कमल का फूल चढ़ाएं। सफेद चावल की खीर का भोग लगाएं। लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। आरती से पूजा को पूर्ण करें।
॥श्री लक्ष्मी चालीसा॥
॥ दोहा ॥''मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥''तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदंबा सबकी तुम ही हो अवलंबा॥1॥तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥12॥पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥18॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥॥ दोहा॥त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥यह भी पढ़ें: Vishwakarma Jayanti 2024: आज मनाई जा रही है विश्वकर्मा जयंती, जानिए तिथि और पूजा नियम
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