गणेश जी से सीखें ये तीन बातें, जीवन बदल जाएगा
जीवन में हर चीज कोई न कोई सीख देती है। गणेश चतुर्थी है तो आइए इस लेख में जानते हैं कि गणपति से हम क्या सीख सकते हैं। सब देवों में प्रथम आराध्य गजानंद भगवान के सब मुरीद है।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 21 Aug 2020 09:30 AM (IST)
जीवन में हर चीज कोई न कोई सीख देती है। गणेश चतुर्थी है तो आइए इस लेख में जानते हैं कि गणपति से हम क्या सीख सकते हैं। सब देवों में प्रथम आराध्य गजानंद भगवान के सब मुरीद है। गणेश जी धर्म, जाति, मजहब से परे हैं। देश की सीमाओं से परे हैं। हर साल महाराष्ट्र में गणपति उत्सव में हर जाति सम्प्रदाय के लोग जुड़ते हैं। सैंकड़ों मुस्लिम परिवार घर में गणपति विराजमान भी कराते हैं। महाराष्ट्र में गणपति उत्सव को दीपावली से भी बड़ा त्यौहार माना गया है। अकेले महाराष्ट्र में ही क्यों, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक समेत कई राज्यों में गणपति उत्सव धूमधाम से मनता है। हालांकि इस बार कोरोना के कारण जश्न हर बार की तरह नहीं होगा। होना भी नहीं चाहिए, मामला हमारे परिवार और देश की सेहत से जुड़ा।
गणपति से पहली चीज जो सीखने को मिलती है वो है, माता पिता की सेवा। आपको पृथ्वी परिक्रमा की कहानी तो याद ही होगी। गणेश जी जैसा पुत्र जिसको भी मिल जाए, वो माता पिता धन्य हैं। गणेश जी से दूसरी शिक्षा मिलती है, एकाग्रता। हर काम से पहले गणेश जी का आह्वान औपचारिकतावश नहीं किया जाता। उसके पीछे एक मनोवैज्ञानिक कारण है। कॉरपोरेट्स में एक टर्म बहुत अवश्यमभावी चलता है, वो है चैक लिस्ट। अपने किए जाने वाले काम की चैक लिस्ट होना जरूरी है। गणेश जी का आह्वान वही चैक लिस्ट की एकाग्रता को ध्यान में लाता है। कि सबसे पहले गणपति का ध्यान करें और साथ में क्या क्या काम अभी होने हैं, उसमें क्या क्या सामग्री लगेगी, ये याद कर लें।
गणेश जी से तीसरी सीख मिलती है, आप जैसे हैं, वो सर्वश्रेष्ठ है। पुराणों में गणपति के शरीर, डील डौल चेहरे की जो व्याख्या की गई है, उस रूप में हम स्वयं को या किसी परिजन को देखना पसंद करेंगे? शायद नहीं। गणेश जी यही सिखाते हैं, जो हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं। उस पर फख्र कीजिए, रश्क नहीं। ईश्वर ने जो रंग, रूप, वर्ण दिया है, उसका उसे धन्यवाद करें और अपने काम में जुट जाएं।