Lohri 2024: 13 या 14 जनवरी, कब है लोहड़ी? नोट करें शुभ तिथि, मुहूर्त एवं धार्मिक महत्व
लोहड़ी पर्व का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि लोहड़ी के दिन अग्नि देव की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि शांति और खुशहाली आती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः लोहड़ी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। धर्म शास्त्रों में भी अग्नि देव की पूजा करने का विधान है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 13 Dec 2023 01:39 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली । Lohri 2024: हर वर्ष जनवरी माह में लोहड़ी का त्योहार हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। सिख समुदाय के लिए यह दिन विशेष होता है। नवीन अन्न के तैयार होने की खुशी में यह पर्व मनाया जाता है। लोहड़ी की संध्या पर आग का अलाव लगाया जाता है। इस अलाव के चारों ओर लोग एकत्र रहते हैं और बारी-बारी से अग्नि में गेहूं की बालियां, रेवड़ी, मूंगफली, खील, चिक्की, गुड़ से निर्मित चीजें अर्पित करें। इस समय लोग भांगड़ा और गिद्धा नृत्य कर उत्सव मनाते हैं। महिलाएं लोक गीत गाती हैं। इस पर्व को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। अतः लोग साल 2024 में लोहड़ी तिथि को लेकर दुविधा में हैं। आइए, लोहड़ी की सही तिथि, मुहूर्त और महत्व जानते हैं-
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सूर्य राशि परिवर्तन
ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव 15 जनवरी को देर रात 02 बजकर 43 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। आसान शब्दों में कहें सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। अतः साल 2024 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति है।
लोहड़ी
ज्योतिषियों की मानें तो मकर संक्रांति तिथि से एक दिन पूर्व लोहड़ी पर्व मनाया जाता है। सूर्य देव 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अतः साल 2024 में लोहड़ी 13 जनवरी के बदले 14 जनवरी को है। लोहड़ी के दिन संक्रांति तिथि संध्याकाल 08 बजकर 57 मिनट पर है।धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में लोहड़ी पर्व का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि लोहड़ी के दिन अग्नि देव की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः लोहड़ी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। धर्म शास्त्रों में भी अग्नि देव की पूजा करने का विधान है।यह भी पढ़ें: जानें, कब, कहां, कैसे और क्यों की जाती है पंचक्रोशी यात्रा और क्या है इसकी पौराणिक कथा?
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