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Lok Katha: बुढ़िया की चतुराई से जब प्रसन्न हुए थे गणपति बप्पा, पढ़ें यह लोककथा

Lok Katha हमारे देश में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं जिन्हें सुनकर हम सभी बड़े हुए हैं। कुछ कथाएं तो हम सभी ने सुनी होंगी वहीं कुछ ऐसी कथाएं भी हैं जो शायद ही हमने सुनी हों।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 09 Sep 2020 04:05 PM (IST)
Lok Katha: बुढ़िया की चतुराई से जब प्रसन्न हुए थे गणपति बप्पा, पढ़ें यह लोककथा
Lok Katha: हमारे देश में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं जिन्हें सुनकर हम सभी बड़े हुए हैं। कुछ कथाएं तो हम सभी ने सुनी होंगी वहीं, कुछ ऐसी कथाएं भी हैं जो शायद ही हमने सुनी हों। जागरण अधायत्म में आज हम आपको गणेश जी की प्रसिद्ध लोक कथा की जानकारी दे रहे हैं। आइए पढ़ते हैं यह लोक कथा। एक बार एक गरीब और दृष्टिहीन बुढ़िया थी। उसके साथ उसके बहू और बेटा रहते थे। बुढ़िया हमेशा ही श्री गणेश की पूजा किया करती थी। एक दिन उसकी पूजा से प्रसन्न होकर गणेश जी प्रकट हुए और बोले- 'बुढ़िया मां! तू जो चाहे वो मांग ले।' बुढ़िया ने कहा- ' मैं कैसे और क्या मांगू, मुझसे तो मांगना नहीं आता?' इस पर गणेश जी ने कहा- 'वो अपने बहू और बेटे से पूछ लें और मांग ले।' यह सुनकर बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा- 'गणेशजी ने कहा है कि मैं कुछ भी मां सकती हूं। तो बता मैं क्या मांगू?' 

उसके पुत्र ने कहा कि मां तू गणपति बप्पा से धन मांग ले। वहीं, बहू से पूछा तो उसने कहा कि वो गणेश जी से नाती मांग ले। तब बुढ़िया ने बहुत सोचा कि हर कोई अपने-अपने मतलब कि बात कह रहा है। कोई मेरे लिए सोच नहीं रहा है। ऐसे में उस बुढ़िया ने अपने पड़ोसिनों से भी पूछ लिया। तब उन सभी ने कहा- 'बुढ़िया! तू तो कुछ ही दिन जीएगी। धन और नाती मांगने से क्या फायदा। तू अपने लिए आंखों की रोशनी मांग ले। इससे तेरी जिंदगी आराम से कट जाएगी।'

यह सुनकर बुढ़िया ने गणेश जी से कहा- 'अगर आप मुझसे प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया, निरोगी काया, अमर सुहाग, आंखों की रोशनी, नाती, पोता और सभी परिवार को सुख दें और आखिरी में मुझे मोक्ष दें।' यह सुनकर गणपति बप्पा ने कहा- 'बुढ़िया मां! यह सब मांग कर तुमने तो मुझे ठग लिया। लेकिन वचन के अनुसार जो तूने मांगे है वो सब तुझे मिलेगा।' इतना कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। बुढ़िया ने जो कुछ भी मांगा था उसे वह सब मिल गया। हे गणपति बप्पा! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सब कुछ दिया ठीक वैसे ही हमें भी सब दें।