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Lord Ganesh: गणेश जी ने किस शर्त पर लिखी थी महाभारत, इस वजह से कहलाए एकदंत

महाभारत ग्रंथ हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है। महाभारत की रचनाकार वेदव्यास माने जाते हैं लेकिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस महाकाव्य को लिखने का कार्य गणेश जी ने किया था। इस कथा में एक ऐसा प्रसंग भी मिलता है जिस कारण गणेश जी एकदंत कहे जाते हैं। चलिए जानते हैं वह रोचक कथा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Thu, 04 Jul 2024 01:23 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 01:23 PM (IST)
Lord Ganesh: गणेश जी ने किस शर्त पर लिखी थी महाभारत।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देव के रूप में भी जाना जाता है। भगवान गणेश को लेकर कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं, जिसमें से एक यह है कि वेदव्यास द्वारा बोली गई महाभारत को गणेश जी ने लिपिबद्ध किया। तो चलिए जानते हैं कि वेद व्यास ने इतने लंबे और जटिल महाकाव्य की रचना के लिए गणेश जी का ही चयन क्यों किया।

वेदव्यास को मिली जिम्मेदारी

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बाद वेद व्यास हिमालय में ध्यान कर रहे थे, तभी वहां ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उनसे कहा कि वह महाभारत महाकाव्य की रचना करें। क्योंकि वेद व्यास एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने पूरी महाभारत देखी थी और सभी पात्रों को भी भली-भांति जानते थे, इसलिए इस महाकाव्य की रचना के लिए ब्रह्मा जी ने उन्हें ही चुना।

तब वेद व्यास ने एक ऐसे व्यक्ति की तलाश शुरू की जो महाभारत जैसे जटिल महाकाव्य की श्रुतलेख कर सके। इसके समाधान के लिए वेद व्यास, ब्रह्मा जी के पास गए, तब उन्होंने इसके लिए गणेश जी का नाम सुझाया। क्योंकि गणेश जी की लिखावट तेज और सुंदर थी।

गणेश जी ने रखी थी ये शर्त

जब वेदव्यास भगवान गणेश के पास महाभारत की रचना का प्रस्ताव लेकर पहुंचे, तो गणेश जी ने उनके एक कुछ शर्त रख दी। उन्होंने कहा कि वह महाकाव्य तभी लिखेंगे, जब व्यास उन्हें बिना रुके पूरी कहानी सुनाएंगे, अगर वह बीच में रुक गए तो गणेश जी लिखना बंद कर देंगे। व्यास जी ने भगवान गणेश की यह शर्त मान ली।

इसपर वेद व्यास की भी गणेश जी के सामने शर्त रखी कि वह वाक्य या श्लोक को पूरी तरह से समझने के बाद ही लिखेंगे। गणेश जी भी वेदव्यास की यह शर्त मानने को तैयार हो गए और उन्होंने महाभारत लिखनी प्रारंभ की। गणेश जी ने बड़ी ही तेजी के साथ इस महाकाव्य को पूरा किया। गणेश जी की लिखने की गति इतनी तेज थी, कि वेद व्यास बोलते-बोलते थक जाते थे।

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इसलिए कहलाए एकदंत

जब भगवान गणेश महाभारत को लिख रहे थे, तो बार-बार उनकी लेखनी टूट जाती थी, जिससे उनकी गति में अवरोध उत्पन्न होता था। तब उन्होंने अपना एक दांत तोड़कर उनकी लेखनी बनाई ताकि महाभारत को लिपिबद्ध करने का कार्य सुचारू रूप से चलता रहे। इसी कारण भगवान गणेश 'एकदंत' भी कहलाए।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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