तुलसी और भगवान गणेश ने एक-दूसरे को क्यों दिया था श्राप, मिलती है ये कथा
तुलसी को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है और पूजनीय भी माना गया है। लेकिन गणेश जी पूजा में कभी भी तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता। गणेश जी को तुलसी न चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है जिसके अनुसार माता तुलसी और गणेश जी ने एक-दूसरे को श्राप दिया था। तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की वह कथा।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी को प्रथम पूज्य देव कहा जाता है, क्योंकि किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा की जाती है। लेकिन उनकी पूजा में पवित्र मानी गई तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता। चलिए जानते हैं कि तुलसी और गणेश जी ने एक-दूसरे को क्यों और क्या श्राप दिया था।
तुलसी ने रखा विवाह का प्रस्ताव
पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि तुलसी माता, गणेश जी से प्रेम करती थी और उनसे विवाह करना चाहती थी। एक बार अपनी यह इच्छा लेकर वह गणेश जी के पास पहुंची और उनसे अपने मन की बात कही। लेकिन गणेश जी ने उनके शादी के प्रस्ताव को मना कर दिया। इससे तुलसी माता बहुत क्रोधित हो गई और उन्होंने गणेश जी को श्राप दिया कि तुम्हारी दो शादियां होंगी। इसी श्राप के फलस्वरुप गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि नामक दो बहनों से हुआ।
गणेश जी ने भी दिया श्राप
तुलसी के श्राप देने के कारण गणेश जी भी क्रोधित हो गए और उन्होंने भी तुलसी को श्राप दे दिया। श्राप देते हुए गणेश जी ने कहा कि तुम्हारा विवाह एक राक्षस से होगा। इसी श्राप के चलते तुलसी का विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हुआ।यह भी पढ़ें - Banke Bihari साल में एक बार ही क्यों धारण करते हैं बंसी? श्रद्धालु दर्शन कर होते हैं निहाल
इसलिए नहीं चढ़ाते तुलसी
गणेश जी के श्राप देने के बाद तुलसी को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने गणेश जी से क्षमा याचना की। तब गणेश जी ने कहा कि कालांतर में तुम एक पौधे का रूप धारण कर लोगी और तुम्हारी पूजा की जाएगी. लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा उपयोग नहीं किया जाएगा। साथ ही यह भी माना जाता है कि तुलसी और गणेश जी के बीच बैर भाव है। इसलिए गणेश जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
यह भी पढ़ें - Vakratunda Sankashti Chaturthi के दिन भगवान गणेश के इन नामों का करें जप, सभी संकट होंगे दूरअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।