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Lord Ganesh: जापान और भारत को जोड़ता है यह मंदिर, दर्शन मात्र से बनते हैं सभी बिगड़े काम

भगवान गणेश के विश्व भर में कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी चर्चा दूर-दूर तक है। आज हम जापान के टोक्यो के एक ऐसे दिव्य धाम की बात कर रहे हैं जहां बप्पा (Lord Ganesha) की उसी भाव के साथ पूजा होती है जैसे कि भारत में हो रही है लेकिन हिंदू मान्यताओं का विस्तार जापान में कैसे हुआ? हम इसके बारे में भी जानेंगे जो इस प्रकार है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 23 Sep 2024 04:25 PM (IST)
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Lord Ganesh: ऐसे जापान में हुआ हिंदू मान्यताओं का विस्तार।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जापान के टोक्यो के भगवान गणेश का एक ऐसा मंदिर है, जिसकी चर्चा दूर-दूर तक है। यह भारत और जापान दोनों देशों को सांस्कृतिक रूप से जोड़ता है। यह मंदिर जापान के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जो हजारों साल पुराना है। साथ ही बप्पा के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस धाम में लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं।

यह मंदिर पूर्ण रूप से जापानी देवता कांगिटेन (Kangiten) या भगवान गणेश (Lord Ganesha) के जापानी स्वरूप को समर्पित है।

ऐसे जापान में हुआ हिंदू मान्यताओं का विस्तार

आपको बता दें, यहां भगवान गणेश को जापान (Japan) में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे - 'कांगीटेन,' 'शोटेन,' 'गणबाची' (गणपति), या 'बिनायकतेन।' उनकी पूजा का प्रारंभिक इतिहास 8वीं-9वीं शताब्दी ईस्वी में शुरू हुआ था। यहां गणेश जी की पूजा ओडिशा में उभरे बौद्ध धर्म के तांत्रिक रूप का हिस्सा है। यह प्रथा पहले चीन पहुंची और फिर जापान तक जा पहुंची। जापान में शिंगोन बौद्ध धर्म की स्थापना एक जापानी विद्वान कुकाई ने की थी।

चढ़ती है चावल की बियर

हिंदू देवताओं और बौद्ध धर्म के बारे में गहराई से जानने के बाद कुकाई एक दशक बाद वापस लौटे, जिसके बाद उन्होंने जापान को कई हिंदू देवी-देवताओं और बौद्ध धर्म के तांत्रिक रूप का भी परिचय दिया। बता दें, लोग अच्छे भाग्य और समृद्धि के लिए इस धाम में दर्शन के दौरान चावल की बियर और मूली अर्पित करते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि इस धाम दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्टों का अंत हो जाता है। साथ ही बप्पा की कृपा प्राप्त होती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।