Move to Jagran APP

Lord Ganesha: इस गुफा में गिरा था पार्वती पुत्र भगवान गणेश का कटा हुआ सिर

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। उनकी पूजा करने से जीवन के सभी विघ्नों का नाश होता है। वहीं आज हम गणेश जी का कटा हुआ सिर कहां गिरा था? उसके बारे में जानेंगे जहां दर्शन करने से सभी कष्टों का अंत हो जाता है। बता दें इस पवित्र धाम को लेकर लोगों की अपनी -अपनी मान्यताएं हैं तो चलिए जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 22 Jun 2024 01:52 PM (IST)
Hero Image
Lord Ganesha: शिव जी ने क्यों काटा था भगवान गणेश का सिर?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान गणपति की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है। उनकी पूजा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाओं का नाश होता है। साथ ही घर में शुभता बनी रहती है। बप्पा की पूजा सभी देवी-देवताओं की पूजा से पहले की जाती है। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य पूर्ण नहीं होते हैं। वहीं, आज हम पार्वती पुत्र भगवान गणेश (Lord Ganesha) का कटा हुआ सिर कहां गिरा था?

उस स्थल के बारे में जानेंगे, जिससे जुड़ी मान्यताएं दूर-दूर तक फैली हुई हैं। इसके साथ ही यहां भारी मात्रा में भक्तों का सैलाब उमड़ता है, तो चलिए इस दिव्य धाम के बारे में विस्तार से जानते हैं -

शिव जी ने क्यों काटा था भगवान गणेश का सिर?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शंकर पार्वती माता से मिलने पहुंचे, लेकिन गणेश जी ने उन्हें देवी पार्वती से मिलने नहीं दिया, क्योंकि देवी ने उन्हें ऐसा करने की आज्ञा दी थी। बाल गणेश के बार-बार रोकने पर शिव जी ने क्रोध में आकर उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था।

इसके बाद भोलेनाथ ने माता पार्वती के कहने पर हाथी का मस्तक उनके धड़ पर लगा दिया था। वहीं, इस घटना के पश्चात उस कटे हुए सिर को भगवान शंकर ने एक गुफा में सुरक्षित रख दिया था, जो आज भी मौजूद है।

इस गुफा में है गणेश जी का कटा हुआ सिर

दरअसल, यद दिव्य गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है, जिसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह गुफा पहाड़ के 90 फीट भीतर है। इस धाम में श्री गणेश की आदि गणेश के नाम से स्थापना की गई है। ऐसा कहा जाता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने खोजा था, जिसका वर्णन स्कंद पुराण के मानस खंड में भी है।

बता दें, गणेश जी के साथ यहां तैंतीस कोटि देवी देवता विराजमान हैं। कहा जाता है कि यहां दर्शन मात्र से भक्तों के सभी पाप कट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यह भी पढ़ें: Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गंगा स्नान के साथ करें ये काम, होगी मोक्ष की प्राप्ति

अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।