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Panchmukhi Hanuman: हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार? हर मुख का है अपना एक खास महत्व

कई पौराणिक ग्रथों में हनुमान जी का भी पंचमुख अवतार का वर्णन मिलता है जिसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की मूर्ति या तस्वीर घर में रखने और उनका पूजन करने से साधक के घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में सभी मुख अलग-अलग दिशाओं में हैं जिनका अपना महत्व है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 13 Feb 2024 06:17 PM (IST)
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Panchmukhi Hanuman हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman ji Panchmukhi Avatar: हनुमान जी को भगवान श्री राम के परम भक्त के रूप में जाने जाते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी का नाम सुनते ही सभी प्रकार के दुःख, दर्द स्वयं ही दूर हो जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको हनुमान जी के पंचमुखी अवतार के पांच मुखों का महत्व बताने जा रहे हैं। हनुमान जी की इन पांच अंको की दिशा अलग-अलग दिशाओं में है और इन सभी का अपना एक विशेष महत्व भी है। आइए जानते हैं इन पांच मुखों के नाम, दिशा और उनके महत्व के विषय में।

इसलिए लिया था पंचमुखी अवतार

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम और रावण के बीच में युद्ध हो रहा था, तो इस बीच रावण को ये आभास हुआ कि उसकी सेना युद्ध हार रही है। तभी उसे अपने मायावी भाई अहिरावण से सहायता मांगी। अहिरावण मां भवानी का परम भक्त था और उसे तंत्र विद्या का ज्ञान भी था। उसने अपनी मायावी शक्तियों का प्रयोग करके भगवान राम की पूरी सेना को नींद में सुला दिया। इसी बीच उसने भगवान राम के साथ-साथ लक्ष्मण का अपहरण कर लिया और उन्हें पाताल लोक ले गया।

मां भवानी का भक्त होने के कारण अहिरावण ने भवानी देवी के निमित्त 5 दिशा में 5 दीपक जलाए हुए थे। उसे यह वरदान प्राप्त था कि जो कोई इन पांचों दीपक को एक साथ बुझा पाएगा वही उसका वध कर सकेगा। तब राम जी और लक्ष्मण जी को अहिरावण के चंगुल से बचाने के लिए हनुमानजी को पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध कर दिया। तब भगवान राम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हो गए।

पंचमुखी अवतार का महत्व

वानर मुख - पंचमुखी अवतार में हनुमान जी का पूर्व दिशा की ओर हनुमान जो मुख है उसे वानर मुख कहा जाता है। माना जाता है वानर मुख दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है।

गरुड़ मुख - हनुमान जी का पश्चिम दिशा वाला गरुड़ मुख कहलाता है। मान्यताओं के अनुसार यह मुख जीवन की रुकावटों और परेशानियों को खत्म करने का काम करता है।

वराह मुख्य - हनुमान जी का पंचमुखी अवतार में उत्तर दिशा का मुख वराह मुख्य कहलाता है। माना जाता है कि हनुमान जी के इस मुख की आराधना करने से लंबी आयु, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।

नृसिंह मुख - हनुमान जी का दक्षिण दिशा में स्थित मुख नृसिंह मुख कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नृसिंह मुख जीवन में आ रहे तनाव और मुश्किलों को दूर करता है।

अश्व मुख - हनुमान जी का पांचवा मुख आकाश की ओर है, जिसे अश्व मुख भी कहा जाता है। यह मुख मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है।

इस तरह करें पूजा

पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या फोटो हमेशा घर की दक्षिण दिशा में लगानी चाहिए। सनातन धर्म में मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी के लिए समर्पित माना जाता है। ऐसे में इस दिन हनुमान जी को पूजा के दौरान लाल रंग के फूल, सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करना चाहिए। साथ ही बजरंगबली को गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए। इस दिन सुंदरकाण्ड या फिर हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें।

मिलते हैं ये लाभ

दक्षिण दिशा के अलावा आप घर की दक्षिण-पश्चिम कोने में भी पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगा सकते हैं, इससे वास्तु दोष की समाप्ति होती हैं। वहीं, घर के मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा घर से दूर बनी रहती है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'