Panchmukhi Hanuman: हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार? हर मुख का है अपना एक खास महत्व
कई पौराणिक ग्रथों में हनुमान जी का भी पंचमुख अवतार का वर्णन मिलता है जिसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की मूर्ति या तस्वीर घर में रखने और उनका पूजन करने से साधक के घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में सभी मुख अलग-अलग दिशाओं में हैं जिनका अपना महत्व है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman ji Panchmukhi Avatar: हनुमान जी को भगवान श्री राम के परम भक्त के रूप में जाने जाते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी का नाम सुनते ही सभी प्रकार के दुःख, दर्द स्वयं ही दूर हो जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको हनुमान जी के पंचमुखी अवतार के पांच मुखों का महत्व बताने जा रहे हैं। हनुमान जी की इन पांच अंको की दिशा अलग-अलग दिशाओं में है और इन सभी का अपना एक विशेष महत्व भी है। आइए जानते हैं इन पांच मुखों के नाम, दिशा और उनके महत्व के विषय में।
इसलिए लिया था पंचमुखी अवतार
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम और रावण के बीच में युद्ध हो रहा था, तो इस बीच रावण को ये आभास हुआ कि उसकी सेना युद्ध हार रही है। तभी उसे अपने मायावी भाई अहिरावण से सहायता मांगी। अहिरावण मां भवानी का परम भक्त था और उसे तंत्र विद्या का ज्ञान भी था। उसने अपनी मायावी शक्तियों का प्रयोग करके भगवान राम की पूरी सेना को नींद में सुला दिया। इसी बीच उसने भगवान राम के साथ-साथ लक्ष्मण का अपहरण कर लिया और उन्हें पाताल लोक ले गया।
मां भवानी का भक्त होने के कारण अहिरावण ने भवानी देवी के निमित्त 5 दिशा में 5 दीपक जलाए हुए थे। उसे यह वरदान प्राप्त था कि जो कोई इन पांचों दीपक को एक साथ बुझा पाएगा वही उसका वध कर सकेगा। तब राम जी और लक्ष्मण जी को अहिरावण के चंगुल से बचाने के लिए हनुमानजी को पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध कर दिया। तब भगवान राम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हो गए।
पंचमुखी अवतार का महत्व
वानर मुख - पंचमुखी अवतार में हनुमान जी का पूर्व दिशा की ओर हनुमान जो मुख है उसे वानर मुख कहा जाता है। माना जाता है वानर मुख दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है।गरुड़ मुख - हनुमान जी का पश्चिम दिशा वाला गरुड़ मुख कहलाता है। मान्यताओं के अनुसार यह मुख जीवन की रुकावटों और परेशानियों को खत्म करने का काम करता है।
वराह मुख्य - हनुमान जी का पंचमुखी अवतार में उत्तर दिशा का मुख वराह मुख्य कहलाता है। माना जाता है कि हनुमान जी के इस मुख की आराधना करने से लंबी आयु, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।नृसिंह मुख - हनुमान जी का दक्षिण दिशा में स्थित मुख नृसिंह मुख कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नृसिंह मुख जीवन में आ रहे तनाव और मुश्किलों को दूर करता है।
अश्व मुख - हनुमान जी का पांचवा मुख आकाश की ओर है, जिसे अश्व मुख भी कहा जाता है। यह मुख मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है।