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Lord Hanuman: सुंदरकांड का पाठ करने से मिलते हैं अद्भुत लाभ, यहां पढ़ें सही तरीका

Sundarkand Path हनुमान जी प्रभु श्री राम के परम के रूप में जाने जाते हैं। माना जाता है कि हनुमान जी का केवल नाम सुनते मात्र से ही सभी प्रकार के दुःख दर्द स्वयं ही दूर हो जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि सुंदरकांड का पाठ करने का सही तरीका है जिससे आपको जीवन में लाभ प्राप्त हो सकता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 03 Feb 2024 09:00 PM (IST)
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Sundarkand path जानिए सुंदरकांड का पाठ करने से क्या लाभ मिलते हैं?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Benefits of Sunderkand: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति को अपने जीवन में अद्भुत फायदे देखने को मिल सकते हैं। साथ ही यह हनुमान जी की कृपा प्राप्ति का माध्यम भी माना जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि यदि कोई व्यक्ति कि सुंदरकांड  (Sunderkand) का पाठ करता है, तो इससे आपको किन फलों की प्राप्ति हो सकती है।

इस तरीके से करें सुंदरकांड का पाठ

सुंदरकांड का पाठ करने के लिए सबसे पहले स्नान आदि से निवृत होकर हनुमान जी की प्रतिमा अपने सामने रखें। इसके बाद हल्के रंग के आसन पर बैठ जाएं और बजरंगबली के सामने घी के दीपक का दिया जलाएं। इसके बाद सुंदरकांड का पाठ आरंभ करें। 21 दिनों तक लगातार सुंदरकांड का पाठ करना ज्यादा लाभकारी माना जाता है।

मिलेंगे यह लाभ

21 दिनों तक सुंदरकांड का पाठ रोजाना करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा आपके और आपके पर बनी रहती है। साथ ही इससे व्यक्ति को अपनी जीवन में चल रही सभी समस्याओं का हल मिल जाता है। हनुमान जी की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।

वहीं, सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक विचारों का संचार होता है, जो उसे जीवन में शुभ परिणाम दिलाने में मदद करते हैं। इसके साथ ही सुंदरकांड का पाठ 21 दिनों तक लगातार करने से व्यक्ति के मन का भय भी दूर होता है और उसे हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है।

इन बातों का रखें ध्यान

सुंदरकांड का पाठ शुरू करने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही ब्रह्म मुहूर्त में भी सुंदरकांड का पाठ करना लाभकारी होता है। आप चाहें तो समूह में भी सुंदरकांड का पाठ करवा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ 11, 21, 31, 41 दिन तक करना उत्तम माना जाता है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'