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Lord Ram: भगवान श्रीराम ने क्यों फोड़ी थी कौए की आंख? बाद में दिया था ये वरदान

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम श्री हरि के 7वें अवतार माने गए हैं जिनका जन्म त्रेतायुग में हुआ था। साथ ही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम नाम से भी जाना जाता है। रामायण में एक कथा मिलती है जिसके अनुसार एक बार भगवान राम ने क्रोध में आकर एक कौए की आंख फोड़ दी थी। चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 29 May 2024 02:22 PM (IST)
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Lord Ram: भगवान श्रीराम ने क्यों फोड़ी थी कौए की आंख?
र्म डेस्क, नई दिल्ली। Prabhu Shri Ram: तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस और वाल्मीकि की रामायण में भगवान राम का पूर्ण वर्णन मिलता है। पितृ पक्ष में कौए को भोजन कराने की परम्परा का संबंध भी श्रीरामचरितमानस में वर्णित एक कथा से माना गया है। तो चलिए जानते हैं वह कथा।

मिलती है ये कथा

श्रीरामचरितमानस में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार जब राम जी, माता सीता के बालों में फूल सजा रहे थे, तब यह दृश्य इंद्रदेव का बेटा जयंत देख रहा था। इसपर उसे शक हुआ कि क्या सच में यह भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। तब उन्होंने परीक्षा लेने की मंशा से एक कौए का रूप धारण किया और माता सीता के पैर में चोंच मार दी।

जिस कारण माता सीता के पैर में घाव हो गया और यह देखकर भगवान राम अति क्रोधित हो उठे। तब उन्होंने एक तीर कौए के पीछे छोड़ दिया। यह देखकर जयंत अपने प्राण बचाने के लिए ब्रह्मलोक से लेकर शिवलोक तक भागे। लेकिन कोई भी उनकी सहायता करने में असमर्थ था।

इंद्र भी नहीं कर सके बचाव

अंत में वह अपने पिता इन्द्र देव के पास गए, और उनसे सहायता की मांग की। इसपर इन्द्र देव ने कहा कि इस बाण से तुम्हारी रक्षा केवल भगवान राम ही कर सकते हैं। इसके बाद वह भागते हुए भगवान श्री राम के चरणों में जाकर गिर पड़े और क्षमा मांगने लगे।

तब प्रभु बोले कि इस बाण को वापस तो नहीं ले सकते हैं, लेकिन उससे कम आघात पहुंचा सकते हैं। उस बाण ने कौए यानी जयंत की एक आंख फोड़ दी। उसी दिन से यह माना जाता है कि कौआ केवल एक ही आंख से देख सकता है।  

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मिला था ये वरदान

इस घटना के बाद भगवान श्रीराम ने कौए को यह वरदान दिया कि तुम्हें भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होंगे। माना जाता है कि इसी के बाद से पितृपक्ष में पितरों के साथ-साथ कौए के लिए भी भोजन निकाले जाने की परम्परा शुरू हुई।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।