Lord Shiv: भगवान शिव की इन बातों को जीवन में उतार, कर सकते हैं अपना उद्धार
देवों के देव कहलाने वाले भगवान शिव हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से भी एक हैं। यदि आप अपने जीवन के उद्धार की कामना रखते हैं तो आप भगवान शिव के कई गुणों को आत्मसात कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कि भगवान शिव के वह कौन-से गुण हैं जिन्हें हर व्यक्ति को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान शिव को देवाधिदेव, आदियोगी, शंकर और भोलेनाथ जैसे कई नामों से जाना जाता है। जहां भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है, वहीं उनका भोलेनाथ नाम दर्शाता है कि भगवान शिव केवल जल चढ़ाने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव का हर एक रूप मानव मात्र के लिए एक प्रेरणा का काम करता है।
भगवान शिव का रूप
भगवान शिव का रूप अन्य देवी-देवताओं के बिल्कुल अलग है। जहां अन्य देवी-देवता आभूषणों से सुशोभित, सुंदर-सुंदर वस्त्र पहने नजर आते हैं, वहीं देवो के देव होते हुए भी भगवान गले में सर्प और रुद्राक्ष की माला लपेटे रहते हैं। वे संपूर्ण देह पर भस्म लगाए रहते हैं। जो यह दर्शाता है कि महादेव किसी भी भोग विलासिता से दूर हैं। इससे यह शिक्षा ली जा सकती है कि सादा जीवन भी आपको श्रेष्ठ बना सकता है। इसके लिए किसी दिखावे की जरूरत नहीं है।
जरूर सीखें ये गुण
भगवान शिव को आदियोगी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव योग के सबसे पहले गुरु हैं। ऐसे में भगवान शिव से ये गुण भी सीखना चाहिए कि किस प्रकार योग और ध्यान द्वारा अपनी सीमाओं से पार जाकर अपनी अंतिम क्षमता तक पहुंचा जा सकता है। योग न केवल आंतरिक चेतना को जगाने का एक माध्यम है, बल्कि स्वस्थ रहने का भी एक बेहतर विकल्प है।
हर परिस्थिति में रहे आगे
ऐसी कई पौराणिक कथाएं मिलती है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि भगवान शिव हर चुनौती के लिए तैयार रहते थे। जब समुद्र मंथन के दौरान विष की उत्पत्ति हुई, तब भगवान शिव ने ही उनका पान किया, ताकि समस्त संसार को उसके प्रकोप से बचाया जा सके।
वहीं, जब गंगा माता को नदी के रूप में धरती पर उतारने का उपक्रम हुआ, तब भी भगवान शिव ने ही उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया। क्योंकि धरती में गंगा के वेग को वहन करने की क्षमता नहीं थी। इससे यह सीख मिलती है कि मुश्किल परिस्थितियों से भागने के बजाय मनुष्य को उनका डटकर सामना करना चाहिए।
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क्या दर्शाता है अर्द्धनारीश्वर रूप
भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव के इस रूप में आधे हिस्से में पुरुष रुपी शिव का वास है, तो वहीं, आधे हिस्से में स्त्री रुपी शिवा यानि शक्ति का वास है। इस रूप से व्यक्ति को प्रेरणा लेनी चाहिए कि स्त्री और पुरुष दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। इसलिए दोनों का सम्मान जरूरी है।
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