Shri Krishna: इन 16 कलाओं से परिपूर्ण हैं भगवान श्रीकृष्ण, क्यों जरूरी है इनके बारे में जानना?
शास्त्रों में भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से जीवन के सभी दुखों का अंत होता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माधव 16 कलाओं से परिपूर्ण है जिनके बारे में जानना बहुत आवश्यक है। ऐसे में अगर आप उनकी पूर्ण कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो इनका पाठ रोजाना करें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा बेहद ही शुभ मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि मुरलीधर की पूजा करने से जीवन के सभी दुखों का नाश होता है। साथ ही साहस, बुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, कान्हा (Shri Krishna) 16 कलाओं से परिपूर्ण इकलौते अवतार हैं, जिन्होंने सभी चीजों पर महारथ हासिल कर रखी हैं, आज हम उनकी इन्हीं 16 कलाओं के बारे में बताएंगे, जिसका पाठ भी पुण्यदायी माना गया है, तो आइए जानते हैं -
भगवान कृष्ण की 16 कलाएं
- श्री धन संपदा
- भू संपत्ति
- कीर्ति संपदा
- वाणी की सम्मोहकता
- लीला की कला
- कांति
- विद्या
- विमला
- उत्कर्षिणि शक्ति
- नीर-क्षीर विवेक
- क्रिया कर्मण्यता
- योगशक्ति
- विनय
- सत्य धारणा
- आधिपत्य
- अनुग्रह क्षमता
क्यों जरूरी है इन 16 कलाओं के बारे में जानना?
हिंदू धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीकृष्ण की ये 16 कलाएं इस बात का एक आदर्श उदाहरण हैं कि लोग कैसे सर्वश्रेष्ठ चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि मनुष्य इन कलाओं के बारे में अच्छे से जान ले, तो उसे जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफलता प्राप्त नहीं होगी। साथ ही इनके अभ्यास से उसका जीवन संतुलित बना रहेगा।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हैं, उन जातकों का जीवन सदैव सुखी रहता है।
इनके बिना मुरलीधर की पूजा है अधूरी
ऐसा कहा जाता है कि जो लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, उन्हें कुछ विशेष बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। दरअसल, उनकी पूजा तुलसी दल के बिना कभी भी न करें। उनके साथ राधा रानी की पूजा जरूर करें। यही नहीं कृष्ण भक्त को गौ सेवा भी करनी चाहिए, क्योंकि माना जाता है इनके बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी है। इसके अलावा उनकी 16 कलाओं का पाठ करना चाहिए, जो परम लाभकारी है।यह भी पढ़ें: Ashadha Gupt Navratri 2024: इस दिन से होगी गुप्त नवरात्र की शुरुआत, नोट करें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधिअस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।