Shesh Naag: भगवान विष्णु के शेष नाग ने कर दिया था अपनी माता का त्याग, ब्रह्मा जी ने दिया ये वरदान
शेष नाग को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। क्षीरसागर में जगत के पालनहार भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर ही विश्राम करते हैं। शेष नाग को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसमें यह बताया गया है कि आखिर क्यों शेष नाग (Shesh Naag story) ने अपनी माता का त्याग कर दिया था। चलिए जानते हैं वह कथा।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शेष नाग को नागों के स्वामी भी कहा जाता है। वहीं यह भी माना जाता है कि शेषनाग के एक हजार फन हैं, जिसपर समस्त ब्रह्मांड का भार है। रामायण से लेकर महाभारत तक ऐसे कई पुराणों हैं, जिसमें शेष नाग वर्णन मिलता है। एक कथा के अनुसार, शेष नगा ने क्रोध में आकर अपनी माता का त्याग कर दिया था और प्रभु श्री हरि की शरण में चले गए थे।
ऐसे हुआ जन्म
ब्रह्माजी के मानस पुत्र प्रजापति कश्यप की दो पत्नियां थीं, जिनका नाम था कद्रू और विनता। ये दोनों दक्ष प्रजापति की पुत्रियां थी। एक बार ऋषि कश्यप, विनिता और कद्रू से प्रसन्न हो गए और उन्हें मनचाहा वरदान मांगने को कहा। इसपर कद्रू ने तेजस्वी एक हजार नागों को पुत्र रूप में पाने की मांग की, तो वहीं विनता ने 2 पराक्रमी पुत्रों का वरदान मांगा। वर के अनुसार, कद्रू ने 100 नागों को जन्म दिया था, जिसमें से सबसे पहले शेषनाग का जन्म हुआ। वहीं विनिता से 2 पक्षियों का जन्म हुआ।
गंधमादन पर्वत पर की तपस्या
कद्रू, विनिता से ईर्ष्या करती थी, इसलिए उसने एक बार छल से विनिता को एक खेल में हरा दिया और उसे अपनी दासी बना लिया। इस बात का पता चलने पर शेषनाग बहुत दुखी हुए। तब उन्होंने अपनी मां और भाइयों को छोड़ दिया और तपस्या करने गंधमादन पर्वत पर चले गए। शेषनाग की कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा।
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ब्रह्मा जी ने दिया वरदान
इसपर शेषनाग कहने लगे कि मैं अपने भाइयों के साथ नहीं रहना चाहता, क्योंकि वह सभी मंदबुद्धि हैं और माता विनता और उसके पुत्रों से द्वेष करते हैं। शेषनाग की इस निस्वार्थ भक्ति को देखकर ब्रह्माजी प्रसन्न होकर कहने लगे कि तुम्हारी बुद्धि धर्म से कभी विचलित नहीं होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि पृथ्वी हमेशा हिलती-डुलती रहती है, अत: तुम इसे अपने फन पर धारण करो, ताकि यह स्थिर हो जाए। तभी यह माना जाता है कि शेषनाग के फन पर ही समस्त ब्रह्मांड का भार है।
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