Lord Vishnu: इन गुणों के चलते मां लक्ष्मी श्रीहरि को मान बैठी थीं पति, बेहद रोचक है वजह
शास्त्रों और पुराणों में भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा को बेहद शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। उनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही जीवन सुखी रहता है। वहीं आज हम भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह को लेकर कुछ ऐसी रोचक बातें साझा करेंगे जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है तो चलिए जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक श्रीहरि विष्णु की पूजा भक्तिपूर्ण करते हैं, उन्हें वे प्रसन्न होकर मनचाहा वर प्रदान करते हैं। साथ ही उन जातकों के ऊपर माता लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। वहीं, आज हम भगवान विष्णु ( Lord Vishnu) और माता लक्ष्मी (Devi Lakshmi)के विवाह को लेकर कुछ ऐसी रोचक बातें साझा करेंगे, जिसे जानकर आपको हैरानी होगी, तो आइए जानते हैं कि आखिर किन गुणों को देखकर धन की देवी मां लक्ष्मी ने श्रीहरि को अपना पति मान लिया था।
इन गुणों की वजह से मां लक्ष्मी ने किया था नारायण से विवाह (Vishnu Maa-Laxmi Story)
श्रीमद्भागवत पुराण के अष्टम स्कंध में लक्ष्मी माता के श्रीहरि के साथ विवाह (Devi Lakshmi And Lord Vishnu Marriage Story) को लेकर एक कथा है। इस पुराण में बताया गया है कि माता लक्ष्मी यह चाहती थीं कि किसी ऐसे उत्तम गुणों से युक्त पुरुष से उनका विवाह हो, जिनमें कोई कमी न हो, लेकिन इस पूर्ण जगत में उन्हें ऐसा कोई नहीं मिला, जो उन्हें पसंद आए। हालांकि बहुत इंतजार और तलाश के पश्चात लक्ष्मी जी को वे सभी गुण जगत के पालनहार भगवान विष्णु में दिखाई दिए।
इसलिए उन्होंने वर के रूप में विष्णु जी को चुन लिया। भगवान विष्णु में धर्म, प्रेम, त्याग और ऐश्वर्य आदि के गुण हैं। वे अनासक्त हैं। उन्होंने क्रोध और काम पर विजय प्राप्त कर ली है। उनके पास धर्म और प्रेम दोनों है।उनका ऐश्वर्य दूसरों पर आश्रित नहीं है। उनका मन सरल है। वे सृष्टि का पालन-पोषण करने वाले उदारमना हैं। यही वजह है कि धन की स्वामिनी ने उन्हें अपने स्वामी के रूप में स्वीकार कर लिया था।
देवी लक्ष्मी की कृपा हेतु करें ये कार्य (Goddess Lakshmi Mantra)
अगर आप मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको उनकी श्रीहरि के साथ आराधना करनी चाहिए, क्योंकि मां वहां पर सदैव के लिए विराजमान होती हैं, जहां पर उनके साथ विष्णु जी की पूजा होती है। इसके साथ ही पूजा-पाठ और दान-पुण्य से जुड़े रहना चाहिए, क्योंकि यही वह चीजें हैं, जिससे आप देवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अलावा हरिप्रिया के इस मंत्र ''ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दक्षं भूर्या भर भूरि घेदिन्द्र दित्ससि । ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतः पुरुत्रा शूर वृत्रहन् । आ नो भजस्व राधसि ।।'' का जाप करना चाहिए। इससे धन में वृद्धि होती है।यह भी पढ़ें: Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा पर जरूरी है इस कथा का पाठ, इसके बिना अधूरा है व्रत
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