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Lunar Eclipse 2024: क्यों लगता है सूर्य और चंद्र ग्रहण, जानिए इस दौरान पूजा करनी चाहिए या नहीं ?

सूर्य और चंद्र ग्रहण (Solar Eclipse And Lunar Eclipse 2024 ) के दौरान आंतरिक मन से यानी बिना पूजा-पाठ किए भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए। इसके अलावा इस दौरान कुछ भी न खाने और पीने की सलाह दी जाती है। वहीं खाने-पीने की सभी चीजों में तुलसी पत्र डाल दिया जाता है ताकि वह शुद्ध और खाने योग्य रहें। तो आइए इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Mon, 26 Feb 2024 03:00 PM (IST)
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Solar Eclipse And Lunar Eclipse: ग्रहण के दौरान पूजा होती है या नहीं?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Solar Eclipse And Lunar Eclipse: इस साल का पहला चंद्र ग्रहण फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी 25 मार्च होली के दिन लग रहा है, जिसका असर इस महापर्व पर दिखने वाला है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इसका मानव स्वास्थ्य और उनके कल्याण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में आज हम चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानेंगे।

क्यों लगता है सूर्य और चंद्र ग्रहण ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य और चंद्र ग्रहण की कथा को लेकर ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों में से एक अमृत का कलश बाहर आया था, जिसको लेकर देवताओं और असुरों के बीच विवाद छिड़ गया था। यह देखकर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रुप धारण किया और सभी को बारी-बारी से अमृतपान कराने की बात कही, लेकिन जब देवताओं को अमृत बांटा जा रहा था, तभी स्वरभानु नाम के राक्षस ने छल से रूप बदलकर सूर्यदेव और चंद्रदेव के मध्य में बैठकर दिव्य अमृत का पान कर लिया, हालांकि उसके इस छल को दोनों ही देवताओं ने पहचान लिया।

जिसकी जानकारी उन्होंने जग के पालनहार भगवान विष्णु को दी, इस बात से क्रोधित होकर श्री हरि ने सुर्दशन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन तब तक उस असुर ने अमृत की कुछ बूंदे ग्रहण कर ली थी, जिससे उसका शरीर दो हिस्सों में अमर हो गया। उसके सिर वाला हिस्सा राहु कहलाया और धड़ वाला केतु। यही कारण है कि राहु-केतु सूर्य-चंद्रमा से बदला लेने के लिए उन्हें समय-समय पर आज भी अपना ग्रास बना लेते हैं, जिसके चलते ग्रहण लगता है।

ग्रहण के दौरान पूजा होती है या नहीं?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान पूजा नहीं करनी चाहिए। यही वजह है कि ग्रहण की अवधि के दौरान सभी मंदिरों के कपाट कुछ घंटे पहले ही यानी सूतक काल में बंद कर दिए जाते हैं। साथ ही इस समय मंदिर जाना भी अच्छा नहीं माना जाता है। हालांकि आंतरिक मन से बिना पूजा-पाठ किए भगवान का भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है।

इसके अलावा इस दौरान कुछ भी न खाने और पीने की सलाह दी जाती है। वहीं खाने-पीने की सभी चीजों में तुलसी पत्र डाल दिया जाता है, ताकि वह शुद्ध और खाने योग्य रहें।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'