Maa Baglamukhi: कैसे हुआ देवी बगलामुखी का अवतरण? जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा
मां बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक आठवीं महाविद्या की देवी हैं। ऐसी मान्यता है उनकी पूजा करने से सभी शत्रुओं को नियंत्रित और परास्त करने की शक्ति प्राप्त होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग किसी भी प्रकार की बड़ी समस्या से घिरे हुए हैं उन्हें देवी की उपासना अवश्य करनी चाहिए। साथ ही उनके मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवी बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक आठवीं महाविद्या मानी जाती हैं। वे पूर्ण जगत की निर्माता, नियंत्रक और संहारकर्ता हैं। ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा (Maa Baglamukhi) करने से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। साथ ही जीवन की अनेकों बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
बगलामुखी मां को पीतांबरा, बगला, वल्गामुखी, बगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है, जब मां कि महिमा इतनी दिव्य हैं, तो आइए उनकी उत्पत्ति कैसे हुई उसके बारे में जानते हैं, जो इस प्रकार है -
कैसे हुआ मां बगलामुखी का अवतरण?
हिंदू धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार सतयुग काल के दौरान पृथ्वी पर भारी बाढ़ और तूफान के चलते सब कुछ नष्ट होने वाला था। चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई थी और लोग मर रहे थे। पृथ्वी लोक की ऐसी हालत देखकर भगवान विष्णु चिंतित हो गए और समस्या का समाधान मांगने के लिए भगवान शिव के पास गए, जिसका समाधान बताते हुए, भगवान शंकर ने उन्हें कहा, 'इसे समाप्त करने की क्षमता सिर्फ जगत जनन आदिशक्ति में है।'
भगवान विष्णु ने देवी की कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर मां जगदंबा सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में बगलामुखी के रूप में प्रकट हुईं। इसके बाद उन्होंने समस्त प्राणियों की रक्षा की और धरती को ब्रह्मांडीय विनाश से बचाया। बता दें, तभी से देवी बगलामुखी की बड़ी श्रद्धा से पूजा की जाती है।
ऐसे करें मां पीतांबरा को प्रसन्न
साधक सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। देवी पीतांबरा से जुड़ी कोई भी पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पीले रंग के कपड़े धारण करें। एक वेदी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर देवी बगलामुखी की प्रतिमा व यंत्र स्थापित करें। मां के सामने देसी घी का दीपक जलाएं और उन्हें पीले फूल, पीली मिठाई और पीले वस्त्र अर्पित करें।
बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए बगलामुखी कवच और स्तोत्र का पाठ करें। देवी की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए भक्त उनके मंदिर भी जा सकते हैं।यह भी पढ़ें: Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के इन उपाय से जीवन को बनाएं खुशहाल, सुख-शांति की होगी प्राप्ति
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