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Maa Ganga: क्यों भगवान शंकर की जटाओं में समाई थीं देवी गंगा? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

देवी गंगा भगवान शिव की जटाओं में विराजमान हैं। उन्हें भोलेनाथ ने अपनी जटा (Why Shiv Ji Tie Maa Ganga) में स्थान क्यों दिया इस कथा को आज हम विस्तार से जानेंगे। इसके साथ ही इस बात को भी जानेंगे कि शिव जी को गंगाधर नाम किस वजह से दिया गया? तो आइए इस पौराणिक कथा को जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 13 May 2024 03:43 PM (IST)
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Maa Ganga-Shiv Ji: शिव जी की जटाओं में क्यों समाई थीं देवी गंगा ? जानिए -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Maa Ganga-Shiv Ji: भगवान शिव की पूजा का शास्त्रों में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि वे अपने भक्तों से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं और उनके सभी दुखों को दूर करते हैं। भोलेनाथ को गंगाधर नाम से भी जाना जाता है, लेकिन उन्हें यह नाम क्यों मिला ? इसके पीछे की वजह हर कोई नहीं जानता, तो आइए जानते हैं भगवान शंकर को यह दिव्य नाम कैसे प्राप्त हुआ?

शिव जी की जटाओं में क्यों समाई थीं देवी गंगा ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी गंगा पहले स्वर्गलोक में वास करती थीं, लेकिन भागीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए देवी की घोर तपस्या की और उनसे पृथ्वी पर अवतरित होने के लिए प्रार्थना की। भागीरथ की तपस्या से खुश होकर मां गंगा पृथ्वी लोक पर आने के लिए तैयार हो गईं, लेकिन उनकी धारा का प्रवाह इतना तेज था, जिसे शायद धरती और उस पर रहने वाले लोग सहन नहीं कर पाते।

साथ ही इससे पूरे जगत का विनाश हो जाता। इस विनाश को बचाने के लिए भागीरथ ब्रह्मा जी के पास पहुंचे, जिसका समाधान ब्रह्मदेव ने स्वयंभू को बताया।

इसके बाद भागीरथ ने तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया। इस समस्या से पृथ्वी को बचाने के लिए शिव जी ने अपनी जटाओं को खोल दिया और इस तरह देवी गंगा देवलोक से उतरकर भगवान शिव की जटा में समाईं। भोलेनाथ की जटाओं में आते ही देवी का वेग कम हो गया और फिर मां गंगा धरती पर प्रकट हुईं। बता दें, देवी गंगा को अपनी जटाओं में धारण करने की वजह से शिव जी को गंगाधर नाम मिला।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।