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Maa Mahakali Temple: इस मंदिर में मनोकामना पूर्ण होने पर मां काली को अर्पित की जाती है नींबू की माला

कुरुक्षेत्र के मैदान में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम भक्त और शिष्य अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था। इस ज्ञान प्राप्ति के पश्चात अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हुआ था। शास्त्रों में निहित है कि पांडवों ने युद्ध से पहले सोनीपत स्थित मंदिर में मां काली की पूजा की थी। मां काली की कृपा से पांडवों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हुई थी।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 03 Jun 2024 08:42 PM (IST)
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Maa Mahakali Temple: सोनीपत मां महाकाली मंदिर (Pic Courtesy: sonipat.gov.in)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Maa Mahakali Temple: हरियाणा राज्य अपने ऐतिहासिक धरोहर के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस राज्य में कई धार्मिक स्थल हैं। इनमें कुरुक्षेत्र प्रमुख हैं। इस स्थल पर महाभारत युद्ध हुआ था। कुरुक्षेत्र के मैदान में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम शिष्य अर्जुन को 'गीता' उपदेश दिया था। सनातन धर्म में पवित्र ग्रंथ को श्रेष्ठ ग्रंथ माना जाता है। इस ग्रंथ में 18 अध्याय हैं। गीता का आवरण कर सामान्य व्यक्ति भी संत-साधक के समतुल्य फल प्राप्त कर सकता है। गीता मोक्ष प्रदाता भी है। पवित्र ग्रंथ गीता के अध्ययन और श्रवण से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कुरुक्षेत्र के पास ही सोनीपत में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां भक्तों की हर इच्छा पूर्ण होती है ? जब इच्छा पूर्ण हो जाती है, तो साधक नींबू की माला मंदिर में स्थापित जगत जननी मां काली (Maa Mahakali Temple History) को अर्पित करते हैं।  आइए, इस मंदिर के बारे में सबकुछ जानते हैं-  

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कहां है मां महाकाली मंदिर ?

Pic Courtesy: sonipat.gov.in

मां महाकाली मंदिर (Maa Mahakali Temple Facts) हरियाणा के सोनीपत में स्थित है। महाभारतकाल में पांडवों ने युद्ध में जाने से पहले सोनीपत के रामलीला मैदान के पास स्थित मां महाकाली मंदिर में जगत जननी की पूजा-उपासना की थी। इसके पश्चात युद्ध के मैदान में कौरवों से लड़ाई की थी। इस युद्ध में पांडवों को विजयश्री प्राप्त हुई थी। साधक नई दिल्ली के रास्ते सोनीपत पहुंच सकते हैं। देश की राजधानी नई दिल्ली निकटतम एयरपोर्ट है। यहां से भक्त सड़क या रेल मार्ग के जरिए सोनीपत पहुंच सकते हैं।

मां की महिमा

स्थानीय लोगों का जगत जननी मां महाकाली के प्रति अगाध और अटूट श्रद्धा है। बड़ी संख्या में भक्तजन प्रतिदिन मां के दर्शन और पूजा के लिए मंदिर आते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां महाकाली के दर्शन मात्र से भक्त को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक दुखों से निजात मिलती है। वहीं, लगातार 40 दिनों तक मां महाकाली की पूजा-अर्चना करने और दर्शन करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि इच्छा पूर्ण होने के बाद भक्त नींबू की माला मां महाकाली को अर्पित करते हैं।

मेला

सोनीपत स्थित मां महाकाली मंदिर में हर वर्ष दो बार मेले का आयोजन किया जाता है। पहली बार शीतला सप्तमी पर मेला लगता है। वहीं, दूसरी बार आषाढ़ महीने में मेले का आयोजन किया जाता है। इस उपलक्ष्य पर बड़ी संख्या में भक्तगण मां काली के दर्शन करते हैं। साथ ही पूजा-उपासना करते हैं। भक्तजन मां काली को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार श्रीफल, फल, श्रृंगार की वस्तुएं और चुनरी अर्पित करते हैं। साथ ही गुड़ से निर्मित मिठाई मां काली को भेंट करते हैं।  

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।